रघुवर सरकार में सहयोगी पार्टी रही आजसू इन दिनों भाजपा से सीट बटवारे को लेकर नाराज़ चल रही है 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और आजसू ने गठबंधन करके चुनाव लड़ा था जिसमे भाजपा को 37 और आजसू को 5 सीटे मिली थी और सरकार बनने के बाद आजसू के खाते में जल संसाधन मंत्रालय आया था. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी आजसू और भाजपा गठबंधन बना रहा और गिरीडीह की सीट से सीपी चौधरी जीत हासिल कर आजसू के पहले सांसद बने

लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव की घोषण होने के बाद आजसू ने अपने तेवर देखने शुरू कर दिये है. आजसू इस विधानसभा चुनाव में 16 से 17 सीटों की मांग कर रही है लेकिन भाजपा 10 से 11 सीटे ही देने को तैयार है. शनिवार को भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक दिल्ली में हुई जिससे पहले झारखंड भाजपा के चुनाव प्रभारी ओम माथुर से मिलकर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने अपनी सूची उन्हें सौप दी है. लेकिन इस बीच रविवार को रांची में आजसू की कार्यसमिति की बैठक है जिसमे आजसू अपने कुछ उम्मीदवारों की सूचि जारी कर सकती है.
भाजपा और आजसू गठबंधन का सब कुछ अब भाजपा के निर्णय पर निर्भर करता है. क्यूंकि आजसू और भाजपा के बिच हटिया,चंदनकियारी,लोहरदगा,चक्रधरपुर जैसी सीटों पर पेंच फसता दिख रहा है. लोहरदगा सीट को लेकर आजसू पार्टी पहले ही घोषणा कर चुकी है की लोहरदगा सीट आजसू पार्टी हर हाल में लड़ेगी भाजपा नेतृत्व आजसू के साथ गठबंधन पर क्या फैसला लेती है इसका इंतज़ार करना होगा