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झारखंड राजभवन के समक्ष धरना देगा आदिवासी समाज, सरना धर्म कोड लागू करने की मांग को लेकर होगा धरना

आदिवासी संगठनों के द्वारा लगातार सरना धर्म कोड को लागू करने के लिए मांग की जा रही है आदिवासी संगठनों की मांग को देखते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 11 नवंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर राज्य के कैबिनेट से आदिवासी सरना धर्म कोड को पारित कर केंद्र सरकार के पास इसे लागू करने के लिए प्रस्ताव भेज चुकी है

इधर आदिवासी संगठन सोमवार 21 दिसंबर को सरना धर्म कोड लागू करने की मांग को लेकर झारखंड राज भवन के समक्ष धरना देंगे केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की का कहना है कि केंद्रीय सरना समिति का एक प्रतिनिधिमंडल रविवार को झारखंड में सरना धर्म लागू करने की मांग को लेकर बरियातू कुकर खेल गांव हटिया एवं हे सेल सहित अन्य जगहों पर जनसंपर्क अभियान चलाया गया इस दौरान जगह-जगह पर लोगों को शामिल होने के लिए भी कहा गया फूलचंद तिर्की का कहना है कि वर्ष 2021 की जनगणना में सरना धर्म कोड को लागू करने को लेकर केंद्रीय सरना समिति अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद एवं आदिवासी सेंगेल अभियान लगातार आंदोलन कर रहे हैं

तीनों संगठनों के द्वारा भारत सरकार को अल्टीमेटम दिया गया है की 31 दिसंबर 2020 तक अगर भारत सरकार के द्वारा सरना धर्म कोड को लागू नहीं किया जाता है या फिर आदिवासी समाज से बातचीत नहीं की जाती है तो 31 जनवरी 2021 को फिर से रेलरोड चक्का जाम किया जाएगा फूलचंद तिर्की का कहना है की 21 दिसंबर 2020 को झारखंड राज भवन के समक्ष एक दिवसीय धरना कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा इसमें आदिवासी सांसद और विधायक जो आदिवासी कोटि से चुनाव जीत कर आए हैं लेकिन सरना धर्म कोड को लागू करने के मामले पर चुप्पी साध बैठे हैं उनका विरोध किया जाएगा

बता दें कि पिछले कई वर्षों से झारखंड के आदिवासी समाज के लोग सरना धर्म कोड के लिए आदिवासी समुदाय के लोग आंदोलनरत हैं राज्य सरकार ने इस आशय का एक विधायक विधानसभा में पास किया था इसे केंद्र सरकार के पास भेजा गया है केंद्र सरकार के द्वारा इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है आदिवासी संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार भी इस मामले पर संज्ञान लें और इसे पास कर कानून बनाएं सरना धर्म कोड कानून की मांग को लेकर झारखंड में पिछले महीने आदिवासी संगठन में निबंध और प्रदर्शन का भी आयोजन किया था अपनी मांग को पूरा करवाने के लिए आदिवासी संगठन बड़ी संख्या में सड़क पर उतरे थे

लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष और झारखंड के भाजपा नेता कड़िया मुंडा का कहना है कि राज्य की झारखंड मुक्ति मोर्चा सरकार सरना धर्म कोड के नाम पर सिर्फ राजनीति कर रही है उन्होंने एक बयान में कहा था कि दुनिया में कहीं भी धर्म स्थल के नाम पर धर्म कोड नहीं है आगे उन्होंने कहा कि सरना धर्म स्थल को कहते हैं ऐसे में धर्म स्थल के नाम पर धर्म कोड नहीं बन सकता है उन्होंने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार सदन में इस प्रस्ताव को पास ही नहीं कर सकती है राज्य सरकार के द्वारा सरना धर्म कोड को कानून बनाने के लिए पास किए गए प्रस्ताव करिया मुंडा ने हेमंत सोरेन सरकार की आलोचना की थी