Skip to content

रोजगार की तलाश में झारखंड के बाहर गये दो युवाओ की घर लौटते वक्त मौत

रोजगार की तलाश में झारखंड के बाहर गये दो युवाओ की घर लौटते वक्त मौत 1

झारखंड के गोड्डा जिले के एक ही पंचायत के रहने वाले दोनों युवकों ने फरवरी में अपने घर छोड़ दिए और रोजगार के लिए उत्तरप्रदेश चले गए। मार्च में केंद्र सरकार ने कोरोना की रोकथाम के लिए लॉकडाउन लागू किया। जहाँ दोनों युवा काम करते थे वहाँ के मालिक द्वारा इन्हे पैसे दिए जाने के बाद यूपी के भदोही से सुंदर और बुद्धीनाथ ने घर के लिए निकलने की योजना बनाई।

Also Read: लॉकडाउन में ट्रेन से करने वाले है सफर, तो ध्यान में रखे ये बात……..

2 मई को वे 14 अन्य लोगों के साथ पैदल घर के लिए निकले। 200 किमी से अधिक चलने के बाद, उन्होंने 5 मई को बिहार में प्रवेश किया और एक ट्रक की छत पर सवार हो कर घर के लिए निकल गए लेकिन तीन घंटे से भी कम समय में ट्रक ने एक पुल को टक्कर मार दी, जिससे सुंदर और बुद्धीनाथ की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। 21 वर्षीय सुंदर राय ने अपने परिवार को आश्वस्त किया था कि बहन की शादी के लिए अच्छी रकम ले कर घर वापस लौटूंगा। साथ 23 वर्षीय बुद्धीनाथ राय ने अपने पिता से कहा था कि राज्य के बाहर काम करने से उन्हें ज्यादा पैसे मिलेंगे जिससे की परिवार अच्छे से चल सकेगा।

Also Read: मिथिलेश ठाकुर ने कांके डैम का लिया जायजा, अधिकारियो से कहा किसी भी हाल में पेयजल का संकट का सामना न करना पड़े

इस हादसे में घायल गीतन राय ने कहा की हमलोग कोरोना के बारे में बाते कर रहे थे तभी अचानक ट्रक एक पल से टकराई और तीन मीटर तक नियंत्रण खोते हुए आगे बढ़ गयी. इस हादसे में मेरी भी जान जा सकती थी लेकिन मैं बच गया लेकिन मेरा हाथ टूट गया है.

Also Read: झारखंड में मनरेगा की मजदूरी 194 रूपये, जबकि अन्य छोटे राज्यों में 225 से अधिक

ट्रक ड्राइवर को लापरवाही से गाड़ी चलाने और मौत के मामले में केस दर्ज किया गया है. इस हादसे में अपनी जान गवा चुके सुन्दर की माँ ने कहा की सुंदर के पिता काम करने के लिए जाने वाले थे लेकिन उनकी तबियत ठीक नहीं होने के कारण वो नहीं गए और उनकी जगह पर सुंदर चला गया. सुंदर की बहन की शादी करनी थी इसलिए सुंदर ने कहा की मैं पैसे कमा कर लाऊंगा ताकि बहन की शादी जो सके.

Also Read: नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना के तहत पांच वर्षो में 1200 करोड़ खर्च करने की तैयारी में सरकार

आगे सुंदर की माँ ने कहा की हमारे पास अंतिम संस्कार के भी पैसे नहीं है. उम्मीद है सरकार हमारी मदद करेंगी। बुद्धीनाथ के पिता बालेश्वर राय ने कहा कि उन्होंने अपने बेटे को घर के लिए निकलने की चेतावनी दी थी। “उसने नहीं सुना, उसने अपने फोन स्विच ऑफ कर दिए। तब हमने उनकी मृत्यु के बारे में सुना। ” दोनों परिवारों ने कहा कि वे किसी भी जमीन के मालिक नहीं हैं।