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झारखंडी अस्मिता की लड़ाई लड़ने वाले हेमंत को क्या तंग कर रही हैं भाजपा?

झारखंडी अस्मिता की लड़ाई लड़ने वाले हेमंत को क्या तंग कर रही हैं भाजपा? 1

भाजपा के हाथों से रेत फिसलता जा रहा है। भाजपा लाखों जतन करे, लेकिन 1932 का जिन्न उसे नहीं छोड़ेगा। दशकों तक झारखण्ड के आदिवासी और मूलवासी के साथ छल करने वाली भाजपा अब यहां के लोगों को आपस में लड़ाने का घिनौना खेल खेलने पर आमदा है। उक्त बातें झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रीमो भट्टाचार्य ने कहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और बाबूलाल मरांडी अब कहते फिर रहें हैं कि हेमंत सरकार ने राज्य के मूलवासियों के साथ न्याय नहीं किया, उनको धोखा देने का कार्य किया है। क्या रघुवर दास ये बताएंगे कि अपने पांच वर्ष के शासन काल में इन्होंने मूलवासियों के लिए क्या किया? या फिर भाजपा बताए कि 20 वर्ष के शासन के दौरान क्या उन्होंने यहां के मूलनिवासियों की अस्मिता और पहचान का ध्यान रखा? नहीं रखा। सिर्फ और सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियां सेकते रहे। जिससे ना यहां के आदिवासियों का और ना ही मूलवासियों का भला हुआ।

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हेमंत सोरेन सरकार ने जब आगे बढ़ कर झारखंडियों को पहचान देने का प्रयास किया है तो सभी उनकी टांग खींचने में लगे हैं। भाजपा यह बताए हेमंत के इस निर्णय से क्या किसी खास वर्ग यह समुदाय को फायदा होगा। नहीं। इस निर्णय से यहां के सभी समुदाय के लोग लाभन्वित होंगे। फिर वो हिंदू हो, मुस्लिम हो या फिर आदिवासी। क्या झारखण्ड की धरती पर सदियों से रहने वालों को उनकी पहचान देने का प्रयास करना गलत है। इस फैसले का तो स्वागत होना चाहिए। और मिल कर यह तय करना चाहिए कि इसे धरातल पर कैसे उतारा जाए। और जब भाजपा के बदलबदलू विधायक नवीन जायसवाल कहते हैं कि पूर्व में भाजपा ने यह प्रस्ताव लाया था तो भाजपा वालों को इसकी सराहना करनी चाहिए। आखिर उनके ही तथाकथित प्रस्ताव को हेमंत ने अमलीजामा पहनाया। फिर इसका विरोध क्यों? आप नहीं ला सके प्रस्ताव तो हेमंत ने लाया प्रस्ताव।

क्या यह प्रस्ताव यहां वर्षों से रह रहे लोगों को प्राभावित करेगा। बिल्कुल नहीं। क्योंकि प्रस्ताव में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे बाकी की आबादी प्राभावित हो। प्रस्ताव में सिर्फ झारखंड के स्थानीय निवासियों की पहचान कर उन्हें लाभ पहुंचाना है। किसी के हक अधिकार को कुचलना कतई नहीं।

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भाजपा के कुकर्मों का ही प्रतिफल है कि आज उसे यह दिन देखना पड़ रहा है। अगर 20 वर्ष के शासन काल में वह यह प्रस्ताव ले आती तो हेमंत सरकार को ऐसा करना ही नहीं पड़ता। ऐसे में किसी ने सही कहा है “ना खेलेंगे ना खेलने देंगे”। पर एक बात भाजपा समझ ले जिसे वे नादान खिलाड़ी समझ रहें है उसके साथ राज्य की जनता है। यही उसके खेल के गुरु हैं।