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गोपाल का क्या है बिहार-झारखंड कनेक्शन, जानिए युवा वैज्ञानिक गोपाल की पूरी कहानी

Gopal Jeeभारत को युवाओं का देश कहा जाता है. युवाओं को देश की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है ऐसा इसलिए क्यूंकि युवा किसी की दशा और दिशा बदलने की ताकत रकते है. ऐसी ही एक कहानी युवा वैज्ञानिक गोपाल की है.

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बिहार के भागलपुर के ध्रुवगंज गांव में रहने वाले 19 वर्षीय गोपाल 3 बार नासा का ऑफर ठुकरा चुके हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी उन्हें न्योता दिया, लेकिन वे टस-से-मस नहीं हुए। कहते हैं देश की सेवा करना ही मेरा लक्ष्य है। उन्होंने हर साल देश के 100 बच्चों को मदद देने का फैसला किया है। 2019 में उन्होंने यह कार्य शुरू किया। 8 बच्चों के आविष्कार का उन्होंने प्रोविजनल पेटेंट भी करवाया। फिलहाल, गोपाल देहरादून सरकारी ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट की लैब में टेस्टिंग कर रहे हैं। वह झारखंड में लैब बनाकर वहां रिसर्च करेंगे।

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गोपाल ने मॉडल हाईस्कूल तुलसीपुर से 12वीं तक की पढ़ाई की। 2013-14 में बनाना बायो सेल के आविष्कार के लिए उन्हें इंस्पायर्ड अवॉर्ड मिला। तब दसवीं में थे। 2008 में उनके गांव में बाढ़ आई। सब कुछ बर्बाद हो गया। किसान पिता प्रेमरंजन कुंवर ने कहा कि दसवीं के बाद नहीं पढ़ा सकूंगा। गोपाल ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने सोचा, कुछ ऐसा करें, जिससे स्कॉलरशिप मिले। 31 अगस्त 2017 को गोपाल ने पीएम मोदी से मुलाकात की। पीएम ने उन्हें एनआईएफ, अहमदाबाद भेजा। उन्होंने यहां 6 आविष्कार किए। अब उनका नाम दुनिया के 30 स्टार्टअप साइंटिस्ट में है। अप्रैल में अबुधाबी में दुनिया का सबसे बड़ा साइंस फेयर होने वाला है। इसमें 6 हजार साइंटिस्ट शामिल होंगे। गोपाल इसमें चीफ स्पीकर होंगे।

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गोपाल के अनूठे प्रयोग; वेस्टेज पेपर से बिजली और केले के लिक्विड से हेयर डाई बनाई

पेपर बायो सेल- वेस्टेज पेपर से बिजली।

गोपोनियम एलोय- किसी भी हीट पर इसका रूप नहीं बदलता। इसमें कई एलिमेंट का प्रयोग किया। इसे इस्तेमाल कर सूर्य पर भी जाया जा सकता है।

जी स्टार पाउडर- इसे लगाकर 5 हजार डिग्री सेल्सियस का हीट गेन किया जा सकता है।

हाइड्रो इलेक्ट्रिक बायो सेल- इस डिवाइस से 50 हजार वोल्ट बिजली स्टोर की जा सकती है।

सोलर माइल- सोलर एनर्जी और विंड एनर्जी को मिलाकर इसे बनाया गया है। 2 किमी की रफ्तार से हवा चलने पर भी बिजली स्टोर की जा सकेगी।

गोपालासका- न्यूक्लियर अटैक से पैदा रेडिएशन को कम करेगा। अब 5 सालों में ही इसका असर खत्म किया जा सकेगा। जबकि अभी न्यूक्लियर अटैक का रेडिएशन सौ सालों तक रहता है।

बनाना नैनो फाइबर एंड क्रिस्टल- केले के थंब से नैनो फाइबर बनाया। उससे जैल बना। इससे डाइपरी प्रोडक्ट बनेंगे। फाइबर से बुलेट प्रूफ जैकेट बनाया जा सकेगा। केले के पत्ते से टिशू पेपर, फाइल कवर और कार्टन बनाया जा सकेगा। लिक्विड से हेयर डाई बनाया जा सकेगा। इसे एक बार लगाने से हमेशा के लिए बाल काले हो जाएंगे। केले के थंब से ईंटें बनाई जाएंगी। इससे बने मकान पानी पर तैरेंगे। गर्मी में एसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। लिक्विड से इलेक्ट्रिक बैटरी बनाई है जो दस गुना ज्यादा पावरफुल है।

बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक- केले के थंब से बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक बनाया गया है। इसका इस्तेमाल करने के बाद यह खुद-ब-खुद खाद बन जाएगा। खेतों में इसका इस्तेमाल हो सकेगा।

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