वैक्सीन देने के 14 दिनों के बाद भारत के सैंपल को इकट्ठा करके उन्हें भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद को भेजेंगे तो वहीं मेडिकल टीम ने कहा कि पहले चरण में 45 लोगों को एनआईएमएस का टीका लगाया गया जिसके बाद परिणाम आशीष चमक रहे हैं वहीं डॉ प्रभाकर रेड्डी ने बताया है कि पहले और दूसरे चरण में कुल 100 स्वयंसेवकों ने भाग लिया स्वयंसेवकों ने स्वास्थ्य की निगरानी लगभग 6 महीने से चल रही है उन्होंने कहा कि तीसरे चरण के परीक्षण में 200 लोगों के टीकाकरण की संभावना थी।
कोवैक्सीन का निर्माण स्वदेशी:
कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न हुई स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए भारत सरकार की तरफ से स्वदेशी कोरोना वैक्सीन का निर्माण किया जा रहा है यह पूरी तरह से स्वदेशी है वैक्सीन के आने से करुणा के बढ़ते मामलों में काफी कमी देखने को मिल सकती है जिस प्रकार से देश में कोरोना ने अपने पैर पसारे हैं उसे रोकने में यह वैक्सीन काफी कारगर साबित हो सकती है उम्मीद जताई जा रही है कि तीसरे चरण कि परीक्षण होने के बाद दिसंबर माह में इस वैक्सीन को बाजार में उतार दिया जाए।