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नए कृषि कानून को पूरा हुआ 1 वर्ष, तेजस वाछानी (Tejas Vachani) ने मोदी सरकार पर बोला हमला

नए कृषि कानून को पूरा हुआ 1 वर्ष, तेजस वाछानी (Tejas Vachani) ने मोदी सरकार पर बोला हमला 1

Tejas Vachani: वर्ष 2020 में 17 सितम्बर को केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के द्वारा कृषि कानून को पारित किया गया था. कृषि कानूनों को 1 वर्ष पूरा होने पर भारतीय युवा कांग्रेस गुजरात के प्रवक्ता ने मोदी सरकार पर निशाना साधते कहा है कि प्रथम कानून कृषि मंडियों के व्यापार को बंद करेगा, द्वितीय कानून किसानों को न्यायलय में जाने से वर्जित करेगा और तीसरे कानून के कारण मुनाफाखोरी व महंगाई बढ़ेगी।

आगे उन्होंने कहा कि, अर्थात प्रथम कानून से उचित मूल्य नही, दुसरे कानून से न्याय नही और तीसरे कानून से काला बाज़ारी को बढ़ावा मिलेगा। प्रदेश प्रवक्ता तेजस वाछानी ने तीनों कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताते हुए इन कानूनों को देश के किसान, उसकी आजीविका तथा कृषि व्यापार पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों के बारे बताया। विशेष तौर पर दूसरे कृषि कानून मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक 2020, में किसानों और व्यापारी के मध्य विवाद के दौरान किसान को न्यायालय में जाने से वर्जित करता है. अर्थात कि किसान और व्यापारी के बीच दौरान दोनों सर्वप्रथम को SDM के पास जाना होगा और SDM की निगरानी में विवाद को सुलझाने के लिए बोर्ड गठित किया जाएगा व बोर्ड के अध्यक्ष SDM के अधीन कार्य करेंगे। यदि बोर्ड के फैसले से विवाद नही सुलझा तो दोनो पुनः SDM के पास जाएगे और SDM से भी विवाद नही सुलझा तो दोनो पक्ष कलेक्टर के पास जाएगे किन्तु इसके आगे का रास्ता बंद कर दिया गया है. कानून मे लिखा है कि SDM का फैसला सिविल न्यायाधीश के समान है और कोई भी सिविल कोर्ट SDM या कलेक्टर के फैसले का संज्ञा नही लेगा।

यह कैसा कानून है जो किसान को सिविल कोर्ट जाने से रोक रहा है, कृषि मंत्री जी 11 दिसम्बर को कहते है की किसान के सबसे नजदीक SDM होता है इस हेतु यह अधिकार दिया गया है किन्तु किसान के निकट तो पटवारी, सरपंच भी होते है अतः ऐसे में क्या यह अधिकार उसे दिया जाएगा? यह कौन सा तर्क है? अभी तो आंदोलन चल रहा है और एक SDM कहते है कि किसान के सिर फोडो, ऐसे में आप उनके पास किसान को न्याय की प्राप्ति हेतु कैसे भेज सकते हो? जिस SDM के हाथ मे कानून व्यस्था की जिम्मेदारी हो ऐसे में उनके हाथ मे न्यायिक जिम्मेदारी कैसे प्रदान की जा सकती है? संविधान के अनुच्छेद 50 में इसलिए न्यापालिका और कार्यापालिका की शक्तियों मध्य दूरी तथा उंचित अंतराल रखने की बात को अंकित किया गया। भाजपा संविधान के साथ खिलवाड़ करके देश की खेती व्यवस्था को अपनी अधीन कर अपने पूंजीपति साथी मित्रों को पोषित करना चाहती है तथा देश में एकाधिकारवाद को लागू करना चाहती है।

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