केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के द्वारा लाये गए तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में देश भर के किसान कानून को वापस लेने की मांग कर रहे है. मुख्य रूप से पंजाब और हरयाणा के किसान सरकार के खिलाफ पिछले 40 दिनों से आंदोलन कर रहे है.
सरकार और किसान संगठनों के बीच 4 जनवरी 2021 को 8वें दौर की बातचीत होना है. किसान संगठनों के द्वारा कानून को वापस लेने के लिए विगत 40 दिनों से सरकार के खिलाफ आंदोलन करके दबाव बनाया जा रहा है कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसान आंदोलनरत हैं. किसान संगठनों का कहना है कि यदि सरकार से हमारी वार्ता विफल होती है तो हम अपने आंदोलन को और भी तेज करेंगे लेकिन सवाल अब भी वही बना हुआ है कि क्या वार्ता के बाद किसान संगठनों के द्वारा किए जा रहे आंदोलन खत्म हो जाएंगे या फिर सरकार की तरफ से किसानों को मनाने के लिए कोई दूसरी तरकीब अपनाई जाएगी.
किसान संगठनों के द्वारा किए जा रहे आंदोलन में कई किसानों की मौत हो चुकी है कुंडली बॉर्डर पर किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहे पंजाब के 2 किसानों की मौत हो गई है कहा जा रहा है कि कड़ाके की सर्दी के बीच किसानों की मौत हो रही है हालांकि मौत के वास्तविक कारणों की जानकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पता चल पाएगी वही किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता सुखविंदर सिंह समरा का कहना है कि अगर आज तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने पर बात नहीं बनती है और एमएसपी गारंटी का कानून नहीं आता है तो आगे की रणनीति तैयार है.
आने वाले 6 जनवरी 2021 को ट्रैक्टर मार्च और 7 जनवरी को देश को जगाने की कवायद शुरू की जाएगी सरकार और किसानों के बीच हुई वार्ता में कृषि कानूनों और एमएसपी को लेकर बात नहीं बन पाई थी किसान यूनियनों ने चेताया है कि अगर 4 जनवरी की बैठक में गतिरोध समाप्त नहीं होता है तो वह हरियाणा में सभी मॉल और पेट्रोल पंपों को बंद करेंगे बता दें कि इससे पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच साथ दोनों की बातचीत विफल साबित हुई है.