CM HEMANT SOREN :राज्य में अगले 48 घंटे में राजनीतिक उथल-पुथल का अंदाजा लगाया जा रहा है। चुनाव आयोग के इस फैसले का असर राज्य सरकार की चेहरे पर पड़ना तय माना जा रहा है। हेमंत सोरेन के साथ और हेमंत के CM नहीं रहने की स्थितियों को लेकर तैयारी की जा रही हैं।
- JMM ने विधायकों की बैठक बुलाई है। विधायकों का मुख्यमंत्री निवास पर पहुंचना शुरू हो गया है।
- रांची के बीजेपी ऑफिस में हलचल तेज हो गई है।
- कांग्रेस ने सभी विधायकों को रांची में रहने के निर्देश दिए हैं।
अगर हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द होती है तो उन्हें इस्तीफा देकर फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी होगी। इसके बाद 6 महीने के भीतर विधानसभा चुनाव जीतना होगा ।
यूपीए चुनाव आयोग के फैसले के दोनों पक्षों को लेकर तैयार मोड में हैं। अगर फैसले से हेमंत सोरेन की राजनीतिक सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा तो सत्तापक्ष कन्फर्म मोड में रहेगा। दूसरी तरफ झामुमो इस बात को लेकर बेचैन है कि अगर कमीशन का फैसला सोरेन के खिलाफ गया तो ऐसी स्थिति में उनके विकल्प के रूप में किसे चुना जा सकता है। हालांकि, इसको लेकर पार्टी और यूपीए प्लेटफार्म पर अनौपचारिक रूप से तीन नामों की चर्चा हुई है।
उसमें सबसे पहला नाम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का है वहीं दूसरे और तीसरे नंबर पर जोबा मांझी और चम्पई सोरेन हैं। दोनों सोरेन परिवार के काफी करीबी और विश्वस्त हैं।
10 फरवरी को पूर्व सीएम रघुवर दास के मौजूदगी में बीजेपी के एक मंत्री ने गवर्नर से मुलाकात कर सीएम हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने कि मांग की थी। बीजेपी ने आरोप लगाया था कि सीएम सोरेन ने पद पर रहते हुए अनगड़ा में खनन पट्टा लिया है। बीजेपी का आरोप है कि यह लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपी) 1951 की धारा 9A का उल्लंघन है।
गवर्नर ने बीजेपी की यह शिकायत चुनाव आयोग को भेजी थी। उसके बाद चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर सोरेन से इस मामले में जवाब मांगा था। लगभग छह महीने की सुनवाई के बाद आयोग ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। वही निर्णय अब किसी भी समय आने की उम्मीद है।