न्यूज डेस्क: झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने अपने तीन साल के कार्यकाल में कई ऐसे कार्य किए हैं जो राज्य गठन के बाद पहली बार हुआ है और सभी कार्य योजनाएं धरातल पर उतरने के साथ ही नए रिकॉर्ड कायम कर रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार ने झारखंड में झारखंड वासियों के लिए कई लाभकारी योजनाओं को धरातल पर उतारा है। सरकार के सर्वजन पेंशन योजना स्कीम सावित्रीबाई फुले किशोरी समृद्धि योजना एवं हरा कार्ड से झारखंड के सभी तबके को लाभ देने का सफल प्रयास रहा है। बताते चलें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व से आदिवासियों की अलग पहचान, संस्कृति और उनके हक अधिकारों को दिलवाने और उनकी रक्षा करने में सबसे बड़ा योगदान रहा है यही कारण है कि झारखंड के आदिवासी ही नहीं पूरे देश के आदिवासियों की निगाह एक उम्मीद के साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से बढ़ती जा रही है
आदिवासियों के लिए सरना कोड पारित किया:-
1951 की जनगणना के बाद देश के आदिवासियों को धर्म के आधार पर “अन्य कॉलम” मैं डाल दिया गया. तभी सरना आदिवासियों ने अपने समुदायों के बीच जागरूकता फैलाना शुरू किया. वर्ष 2011 की जनगणना में झारखंड में सरना मतावलंबियों ने लगभग 40 लाख से अधिक संख्या में खुद को सरना के रूप में दर्ज किया। झारखंड राज्य आदिवासी बहुल राज्य है और उनके सम्मान और पहचान के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने “सरना धर्म कोड” को विधानसभा में मोहर लगाकर केंद्र के पास भेज दिया।
झारखंड के आदिवासियों को विदेश में पढ़ाई
मुख्यमंत्री ने झारखंड के मेधावी आदिवासी छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी भेजने का काम किए जिसका सारा खर्चा हेमंत सोरेन की सरकार ने उठाया था इन बच्चों का चयन राज्य सरकार के “मरांग गोमती जयपाल सिंह मुंडा परदेसिया छात्रवृत्ति योजना” के तहत चयनित किया गया। और इस योजना का लाभ भविष्य में और भी कई छात्रों प्राप्त हो इसके लिए सरकार पहल करेंगे।
पलाश पुष्प :-
हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद का जैसे बागडोर संभाला तभी से झारखंड संस्कृति और सभ्यता को देश और विदेश के मानस पटल पर रखने का कार्य किए हैं.
बता दें कि श्री हेमंत सोरेन ने झारखंड के नए प्रतीक चिन्ह में पलाश पुष्प को जोड़ा था। जिससे झारखंड की प्राकृतिक सौंदर्य का बोध होता है एवं स्थानीय पर्व-त्योहारों और जनजातियों कला संस्कृति का एक प्रतीक चिन्ह पलाश पुष्प है जो 15 अगस्त 2020 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के प्रतीक चिन्ह में सुशोभित किया.
“नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को” जनहित के लिए 30 वर्षों के आदिवासी विरोध को समाप्त किया:-
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के अवधि विस्तार के प्रस्ताव को विचाराधीन प्रतीत नहीं होने के बिंदु पर अनुमोदन दे दिया है. 1964 में शुरू हुए नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा 1999 में अवधि विस्तार किया गया था. मुख्यमंत्री ने जनहित को ध्यान में रखते हुए नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को पुनः अधिसूचित नहीं करने के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान की है. बता दें कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में लातेहार जिला के करीब 39 राजस्व ग्रामों द्वारा आम सभा के माध्यम से राज्यपाल, झारखण्ड सरकार को भी ज्ञापन सौंपा गया था, जिसमें नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से प्रभावित जनता द्वारा बताया गया था कि लातेहार व गुमला जिला पांचवी अनुसूची के अन्तर्गत आता है. यहां पेसा एक्ट 1996 लागू है, जिसके तहत् ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार प्राप्त है. इसी के तहत् नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के प्रभावित इलाके के ग्राम प्रधानों ने प्रभावित जनता की मांग पर ग्राम सभा का आयोजन कर नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के लिए गांव की सीमा के अन्दर की जमीन सेना के फायरिंग अभ्यास के लिए उपलब्ध नहीं कराने का निर्णय लिया था. साथ ही नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना को आगे और विस्तार न कर विधिवत् अधिसूचना प्रकाशित कर परियोजना को रद्द करने का अनुरोध किया था.