Jharkhand Politics: झारखंड की राजनीति का पारा गर्मी में बढ़ रहे तापमान की तरह ही तेज़ी से बढ़ रही है. भाजपा और झामुमो के बीच आरोप-प्रत्यारोका दौर जारी है आए दिन भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी हेमंत सोरेन कि सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाते रहते है. सरकार गठन के वक्त तक बाबूलाल हेमंत के साथ तो थे लेकिन जैसे ही भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री का सपना फिर से दिखाया अपने वादों और वचनों से पलटी मरते हुए भाजपा में शामिल हो गए. “कुतुबमीनार से कूदना पसंद लेकिन भाजपा में नहीं जाऊंगा” जैसी बात कहने वाले बाबूलाल सत्ता के लालच में मनगढ़ंत और बेबुनियाद आरोप मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके परिवार पर लगाते रहे है.
झामुमो लगातर बाबूलाल के आरोपों का जवाब देती है और तथ्यों के आधार पर सबूत उपलब्ध कराने कि मांग करती है लेकिन बाबूलाल आरोपों को साबित नहीं कर पाते ना ही कोई प्रमाण उपलब्ध करवा पाते है. झारखंड की जनता ने जिस प्रचंड बहुमत के साथ हेमंत सोरेन की सरकार बनाई है उस जनसमर्थन वाली सरकार को कई बार गिराने का प्रयास भाजपा द्वारा किया गया इस बात की पुष्टि भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह ने एक रैली में कही है. शाह ने कहा था कि बाबूलाल हेमंत सोरेन कि सरकार को गिराने को कह रहे थे लेकिन मैंने उन्हें मना किया. बता दें कि सरकार गिराने कि साजिश में शामिल होने के आरोप में कई लोगो को गिरफ्तार भी झारखण्ड पुलिस के द्वारा किया गया था.
बाबूलाल मरांडी ने जितने भी आरोप हेमंत सोरेन पर लगाये है वो सभी बेबुनियाद और आधारहीन साबित हुए है. सबसे प्रमुख ईडी की कार्रवाई और निर्वाचन आयोग के फैसले का है जिसमें हेमंत सोरेन के विधानसभा सदस्यता जाने और खनन मामलें में जेल जाने की बातें शामिल है. झारखण्ड के पूर्व राज्यपाल रमेश बैस ने भी भाजपा के अपनाये गए हथकंडे में उनका पूरा साथ दिया और हेमन्त सोरेन के खिलाफ खूब माहौल बनाने कि कोशिश की गयी लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई. लेकिन जिन मामलों को लेकर भाजपा आरोप लगाती है वो सभी भाजपा कार्यकाल के है परन्तु जैसे ही केंद्रीय जाँच एजेंसीयो के पास भाजपा नेताओ का काला चिट्ठा खुलने लगता है उस मामले को भटका कर दूसरी तरफ ले जाया जाता है.
बाबूलाल के इस ट्वीट को पढ़िए, जो आरोप बाबूलाल मरांडी हेमंत सोरेन और उनकी सरकार पर लगा रही है उस उनके कार्यकाल का है ही नहीं साथ ही अगर छवि रंजन ने कोडरमा मामले गलती कि थी तो राज्य और केंद्र में भाजपा कि डबल इंजन की सरकार थी फिर क्यूँ उन्हें बर्खास्त नहीं किया गया? सवाल यह भी उठता है कि क्या सिर्फ हेमंत सोरन को बदनाम करने के उद्देश से पूर्व कि सरकारों में हुए घोटालों को माथे पर मढ़ा जा रहा है?