आने वाले कुछ ही दिनो में बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखो का ऐलान चुनाव आयोग की तरफ से किया जा सकता है। इस बीच बिहार कि सियासी हवा का रूख काफी तेज चल रही है। NDA का खेमा मुख्यमंत्री नीतिश कुमार पर दाव लगाकर चुनावी मैदान में उतरेगा तो वहीं UPA गठबंधन यानी महागठबंधन की तरफ से प्रमुख विपक्षी दल राजद के नेता और वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के ऊपर दाव खेला जायेगा। राजद और जदयू के बीच लगातार आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है।
लेकिन इन सब के बीच बिहार की राजनीति में पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे का नाम तेजी से सामने आया है। अपने बयानो को लेकर अक्सर चर्चा मे रहने वाले गुप्तेश्वर पांडे ने 22 सितंबर को अपने करियर का दूसरा VRS लिया है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी पत्र में कहा गया कि गुप्तेश्वर पांडे का वीआरएस स्वीकार करते हुए उन्हें सेवा से मुक्त किया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप संजीव कुमार सिंघल को बिहार का नया डीजीपी बनाया गया है। वीआरएस की चिट्ठी सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद गुप्तेश्वर पांडे ने भी अपने फेसबुक पेज और ट्वीटर पर एक पोस्टर जारी करते हुए 23 सितंबर को लाइव आकर वीआरएस लेने की वज़ह बताने की सुचना दी। जिसके बाद तेजी से राजनीतिक गलियारो में चर्चा होने लगी कि गुप्तेश्वर पांडे बक्सर के किसी सीट से जदयू की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ेगे।
दरअसल, गौर किया जाए तो चुनाव लड़ने और डीजीपी को अपने पाले में करने के लिए मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने पहले से ही अपनी रणनीति पर काम कर रहे थे जिसमें वे कामयाब होते नज़र भी आये। सुशांत सिंह राजपूत मामले को लेकर जिस तरह से गुप्तेश्वर पांडे महाराष्ट्र की सरकार पर हमलावर थे और नीतिश सरकार का बचाव कर रहे थे, वो दर्शाता है कि गुप्तेश्वर पांडे को पहले चुनाव लड़ने के संकेत नीतिश कुमार की तरफ से मिल चुके थे। VRS लेने से कुछ दिनों पहले पांडे ने जदयू के बक्सर जिले के अध्यक्ष से मुलाकात की करने पहु़चे थे। जिला अध्यक्ष विंध्याचल कुशवाहा से जब पूर्व डीजीपी के बारे में पूछा गया तो उन्होने कहा कि गुप्तेश्वर पांडे एक अच्छे इंसान है और पार्टी में शामिल होने पर उनका स्वागत है। लेकिन इन सब के बीच गुप्तेश्वर पांडे ने चुनाव लड़ने से इनकार किया है। परन्तु जिस प्रकार से सोशल मीडिया पर उनकी गतिविधि जारी है उसे देखकर लगता है कि वे अपना पत्ता सोच-समझ कर खोलना चाहते है।