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राज्य व देश के विकास में पदाधिकारियों की स्थानीय भाषा की समझ जरुरी- Hemant Soren

Divya Kumari
राज्य व देश के विकास में पदाधिकारियों की स्थानीय भाषा की समझ जरुरी- Hemant Soren 1

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने सरकार बनने के बाद से स्थानीय भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने की बात करते रहते है. सीएम ने राज्य में कार्यरत उच्च से लेकर निम्न वर्ग के सभी कर्मचारियों और पदाधिकारियों से दिन की शुरुआत “जोहार” से करने की परंपरा शुरू करने की अपील किया है. इसका सुखद परिणाम भी दिख रहा है. स्थानीय भाषा को लेकर भी सीएम हेमंत गंभीर रहते है.

मोरहाबादी स्थित पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा फुटबॉल स्टेडियम में आयोजित तीन दिवसीय बांग्ला सांस्कृतिक मेला का समापन रविवार को हुआ। मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि बांग्ला सांस्कृतिक मेला अपने नाम के अनुरूप अपनी भाषा व संस्कृति को समृद्ध कर रही है। हमें अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए। भाषा मजबूत होगी तो सभ्यता व संस्कृति भी मजबूत होगी।

Hemant Soren डीसी, एसपी को भी स्थानीय भाषाएं आनी चाहिए, समस्याओं का समाधान बेहतर तरीके से हो सके

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के सभी जिले किसी न किसी राज्य से मिलते हैं और सबसे अधिक बंगाल से सटते हैं। ऐसे में यहां बांग्ला भाषा और संस्कृति का प्रभाव स्वाभाविक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दिनों पदाधिकारियों के एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में उन्होंने यह जानने का प्रयास किया था कि कितने पदाधिकारी स्थानीय भाषा जानते हैं। उन्होंने कहा कि हैरत हुई कि एक भी पदाधिकारी ने नहीं कहा कि वे झारखंड की कोई स्थानीय भाषा जानते हैं। सीएम ने कहा कि डीसी, एसपी को भी स्थानीय भाषाएं आनी चाहिए, ताकि स्थानीय लोगों की समस्याओं का समाधान बेहतर तरीके से हो सके। कहा, हम सभी भाषाओं को सम्मान देने के पक्षधर हैं।

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सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रमों की शुरुआत बंगाल की परंपरा को सम्मुख रखते हुए कीर्तन से हुई, जिसे पंकज नट्ट और जयश्री नट्ट ने प्रस्तुत किया। इसके बाद बाउल गीतों पर संगीतप्रेमी भावविभोर हुए। कार्तिक दास बाउल ने अपनी मौलिक गायन शैली में बाउल गीतों पर श्रोताओं को झुमाया। बाउल बीरभूम नदिया बंगाल की विशेष गायन शैली है, जिसमें ईश्वर से एकाकार होने का दर्शन है। बाउल संगीत में रमे श्रोता को फिर सूफियान कलाम से सूफी गायक फकीर नूर आलम ने सम्मोहित किया। यह फकीरी सूफी संगीत विभिन्न क्षेत्रों की संगीत शैली को समाहित किए हुए था। इसमें भाटियाली, भवाइया, झुमुर आदि संगीत शैली को बांग्ला भाषा के जरिए एकसूत्र में पिरोया गया। साथ ही, बांग्ला बैंड दोहार की लाइव प्रस्तुति ने इस संगीतमय संध्या को खास बनाया।

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