Uttar Pradesh: देशभर में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. कोरोना की दूसरी लहर में लोगों को सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत पड रही है ऐसे में कई अस्पताल मरीजों के सामने हाथ खड़े करते नजर आए हैं. उन मरीजों के लिए कई लोग फरिश्ता बनकर भी सामने आते हैं ऐसा ही कुछ मामला एक बार फिर सामने आया है जहां इंसानियत और मानवता ने दूसरे की मदद की है.
उत्तर प्रदेश के बागपत में रमाला थाना क्षेत्र कोरोना वायरस संक्रमण के बीच हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिली. सूप गांव के 28 वर्षीय अंकित को सांस लेने में दिक्कत होने पर निजी अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टर ने निजी स्तर पर ऑक्सीजन की व्यवस्था करने को कह दिया जिसके बाद उसे कहीं भी सिलेंडर नहीं मिला. यह बात जब किशनपुर बराल के नौशाद को पता चली तो उसने अपनी वेल्डिंग मशीन में लगा ऑक्सीजन सिलेंडर उतार कर दे दिया.
अंकित की हालत अब बेहतर है उसके परिजन नौशाद को भगवान का दूत बता रहे हैं. जानकारी के मुताबिक नौशाद की गांव में ही बैटरी बनाने की दुकान है. सोमवार को गांव के जयभगवान के भतीजे अंकित को अचानक सांस लेने में दिक्कत होने लगी परिवार के लोग उसे अस्पताल की ओर लेकर दौड़े लेकिन कहीं भी ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं हो पाई. डॉक्टर ने उन्हें निजी स्तर पर ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करने की सलाह दी. सिलेंडर की तलाश में पीड़ित परिवार नौशाद के पास पहुंचा और मदद मांगी नौशाद ने अपनी वेल्डिंग मशीन में लगी ऑक्सीजन सिलेंडर को उतारकर उन्हें दे दिया.
नौशाद का कहना है कि उसके पास एकमात्र सिलेंडर है जब वह खाली होता है तो उसके बदले में भरा हुआ सिलेंडर लाता है. संकट की इस घड़ी में आदमी को ही आदमी के काम आना चाहिए धंधा तो सब चलता ही रहेगा. उधर ऑक्सीजन मिलने के बाद अंकित की हालत में सुधार आया है परिजन नौशाद को किसी फरिश्ते से कम नहीं मान रहे हैं.
एक तरफ जहां देश भर में हिंदू-मुस्लिम के नाम पर लोगों के बीच में सांप्रदायिकता को जन्म दिया जाता है. वही अंकित और नौशाद की कहानी गंगा जमुना तहजीब की एक मिसाल कायम करती है. यह रिपोर्ट बताती है कि जाति धर्म में बटकर लोग सिर्फ खुद का ही नुकसान करते हैं लेकिन इंसानियत की राह पर चलकर वे एक दूसरे की मदद करने के साथ ही एक दूसरे का भरोसा बन कर भी साथ चलते हैं.