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हैदराबाद निकाय चुनाव का बंगाल के चुनाव पर कितना असर, पढ़े अजीज-ए-मुबारकी का ब्लॉग

देश के सबसे बड़े नगर निगम में से एक हैदराबाद नगर निगम का भी नाम शामिल है. हैदराबाद नगर निगम चुनाव में भाजपा आक्रमक तेवर अपनाए हुए चुनाव प्रचार अभियान को पूरा कर चुकी है भाजपा की रणनीति के अनुसार हैदराबाद के सांसद और ए आई एम आई एम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को उसी के गढ़ में शिकस्त देने की तैयारी में है इसे लेकर देश के गृह मंत्री अमित शाह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रोड शो करके यह दशा दिया है कि भाजपा इस चुनाव में अपनी पूरे दमखम के साथ उतरी है. हैदराबाद नगर निकाय का चुनाव 1 दिसंबर को होना है वही उसकी मतगणना 4 दिसंबर को होगी हैदराबाद नगर निकाय का चुनाव 4 जिलों में संपन्न होता है जिसमें 151 पार्षद के लिए जनता द्वारा मतदान किया जाता है

हैदराबाद नगर निकाय के चुनाव में जिस प्रकार से भाजपा और ए आई एम आई एम सामने हैं क्या उसका आंसर बंगाल में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा के चुनाव पर पड़ेगा या फिर ममता बनर्जी इन दोनों दलों को प्राप्त करते हुए एक बार फिर बंगाल की सत्ता पर काबिज हो पाएंगे इस पर राजनीतिक मामलों के जानकार अजीज-ए-मुबारकी ने एक ब्लॉग लिखा है.

मुबारकी अपने ब्लॉग में लिखते हैं कि हैदराबाद नगर निकाय के चुनाव में भाजपा के द्वारा ए आई एम आई एम के नेता असदुद्दीन ओवैसी को लेकर इतनी चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वह यह यकीन दिलआनआ चाहते हैं कि देश में मुसलमानों का एक ही नेता है और वह असदुद्दीन ओवैसी है भाजपा सिर्फ नगर निकाय चुनाव को ध्यान में रखकर असदुद्दीन ओवैसी को प्रमुखता नहीं दे रही है बल्कि इसके जरिए बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव को भी ध्यान में रखकर उनकी ब्रांडिंग कर रही है. दरअसल, भाजपा ओवैसी को मुसलमानों का नेता घोषित करके बंगाल में ममता बनर्जी को शिकस्त देने की जुगाड़ में लगे हुए हैं भाजपा या चाहती है कि मुसलमान ओवैसी को अपना नेता मान कर उन्हें वोट करें ताकि ममता बनर्जी को नुकसान हो और मुसलमानों के वोट से हुए नुकसान के कारण ममता बनर्जी बंगाल की सत्ता से बेदखल हो जाए.

वे आगे कहते हैं कि जिस प्रकार से महाराष्ट्र और बिहार में ए आई एम आई एम ने चुनाव लड़कर महागठबंधन को नुकसान पहुंचाया है ठीक उसी प्रकार भाजपा चाहती है कि बंगाल में ममता बनर्जी को नुकसान पहुंचाया जाए. मुसलमानों के मसीहा के रूप में भाजपा असदुद्दीन ओवैसी को साबित करना चाहती है जिससे चुनाव में सामाजिक ध्रुवीकरण हो सके.