सूबे के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने एक बार फिर राज्य में 1932 का खतियान लागू करने के पक्ष में अपनी बात राखी है. मंत्री ने कहा कि हेमंत सरकार ने पहली कैबिनेट में ही तय कर दिया है कि तीन सदस्यीय कमिटी ही स्थानीय नीति के प्रारूप तय करेंगे।
अपना पक्ष रखते हुए कह दिया है कि 1932 खतियान को प्राथमिकता दिया जाए , साथ ही 1952 में सम्पन्न हुए पहले आम चुनाव में जिसका वोटर लिस्ट में नाम है उसको भी झारखंडी माना जा सकता है।
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हेमंत सरकार को 2019 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के साथ सत्ता तक पहुँचाने में स्थानीय निती ही सबसे बड़ा हथियार साबित हुआ है. इस मुद्दे पर दो वर्षों तक विधानसभा की कार्यवाही बाधित रही और विपक्ष में रहते हुए जेएमएम के विधायकों ने सदन चलने नहीं दिया था। पार्टी ने इसे चुनाव मुद्दा बनाया और अप्रत्याशित सफलता हासिल की।
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रघुवर दास की सरकार ने स्थानीय नीति की घोषणा की थी, जिसमें 1985 को झारखंडी का आधार बनाया गया था। इसके तहत वैसे झारखंड के निवासी, जो व्यापार, नियोजन एवं अन्य कारणों से झारखंड राज्य में विगत 30 वर्ष या उससे अधिक समय से निवास करते हों एवं अचल संपत्ति अर्जित की हो या ऐसे व्यक्ति की पत्नी, पति या संतान हो। ऐसे आधे दर्जन प्रावधानों को शामिल किया गया था, जिसके तहत स्थानीय का दावा पेश किया जा सकता था।