करुणा महामारी के कारण उत्पन्न हुई स्थिति से निपटने के लिए आज केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व लगा हुआ है ऐसे में भारतीय आयुष मंत्रालय की तरफ से झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के दो डॉक्टरों को यूनानी दवा पर शोध करने की अनुमति दी है इसके लिए आयुष मंत्रालय ने उन्हें 6 लाख भी दिए हैं आयुष मंत्रालय की तरफ से डॉक्टरों को कोरोनावायरस की अनुमति दी गई है आयुष मंत्रालय के सेंट्रल काउंसिल ऑफ यूनानी मेडिकेशन की यूनानी दवाओं का शोध कोरोनावायरस के मरीजों पर किया जाएगा.
शोध 3 तरह के लोगों पर किया जाएगा इसमें सबसे पहला वह व्यक्ति होगा जो पूरी तरह से स्वस्थ हो चुका है वही दूसरा जो बीमार है और सबसे अंतिम तीसरा जो कोरोनावायरस से स्वस्थ हो चुके हैं शोध के दौरान तकरीबन 50 मरीजों को केंद्र में रखकर शोध किया जाएगा इन सभी पर यूनानी दवाएं इस्तेमाल होगा. मरीजों पर यूनानी दवा के साथ ही पहले से चल रही दवा भी होगा ताकि पता चल पाएगी यूनानी दवा का असर मरीज पर कितना हो रहा है. प्रत्येक 15 दिनों पर मरीजों का सैंपल लिया जाएगा ताकि शोध का ठीक ढंग से पता चल रहा है
डॉक्टरों का कहना है कि यह शोध गंभीर मरीजों पर नहीं किया जाएगा साथ ही गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर भी यह शोध नहीं होगा. यह शोध पूरा होने में 4 से 5 महीने का समय लग सकता है जैसे-जैसे दवाओं का असर मरीजों पर होगा उसी तरह से रिपोर्ट आयुष मंत्रालय को भेजे जाएंगे
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ऐसा पहली बार होगा कि झारखंड के डॉक्टरों को आयुष मंत्रालय की तरफ से कोरोनावायरस शोध करने की अनुमति दी गई है शोध पूरा हो जाने के बाद यदि मरीजों में इसका सकारात्मक प्रभाव दिखता है तो इसे रिम्स की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में शामिल किया जा सकेगा साथ ही रिसर्च स्टडी भी पब्लिश हो सकेगी इन सबके अलावा सबसे महत्वपूर्ण चीज यदि यह सफल होता है तो रिम्स अपना पेटेंट भी डाल सकेगा ताकि रे मुझको इसका रेवेन्यू मिल सके