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गर्मियों की आहट पहुंचने से पहले ही सूखने लगे जल स्रोत, गांव में दूषित पानी पीने को हुए ग्रामीण मजबूर

देशभर में लोगों के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए सुप्रीम कोर्ट निर्देशित कर चुकी है कि लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराना सरकारों का काम है. लोगों का मौलिक अधिकार है कि उन्हें साफ और स्वच्छ पानी दिया जाए लेकिन ना तो देश की सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन किया जा रहा है और ना ही लोगों के मौलिक अधिकार उन्हें दिए जा रहे हैं.

यही कारण है कि देहरी टपरिया गांव के लोग दूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं इस गांव का हाल इतना खराब है ,कि यह पानी इतना गंदा है कि पानी पीना तो दूर की बात है उस पानी से हाथ भी धोया नहीं जा सकता लेकिन उस गांव के लोग उस पानी को पीते हैं.

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यह गांव दरअसल, मध्यप्रदेश में है जो शहर से करीब 7 किलोमीटर दूर देहरी टपरा गांव में आदिवासी लोग निवास करते हैं ,जो कि मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं. यहां हर वर्ष फरवरी महीने से ही पानी की समस्या होने लगती है. जल स्रोतों जैसे -नदी ,तालाब कुएं, आदि का पानी सूखने लगते हैं. इसके बाद भी ना तो ग्राम के पंचायत प्रतिनिधि यहाँ ध्यान देती है ,और ना ही विभाग के अधिकारी ध्यान देते है. पानी के लिए दूसरे गांव या कई किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता है. इसलिए देहरी टपरिया गांव के लोग गंदे पानी पीने को मजबूर हैं.

Report by: Kiran Kumari