maulana wahiduddin khan: इस्लामिक विद्वान और पद्म विभूषण अवार्ड से सम्मानित किए गए मौलाना वहीदुद्दीन खान का 97 साल की उम्र में बुधवार की रात को निधन हो गया. वह कोरोना वायरस से संक्रमित थे उनकी पहचान इस्लाम के बड़े जानकारों के तौर पर होती है.
मौलाना वहीदुद्दीन खान ऐसे शख्सियत थे जिन्होंने कुरान का अनुवाद हिंदी और अंग्रेजी में किया था. इसके साथ ही उन्होंने 200 किताबें भी लिखी है. उनका नाम इस्लाम के बड़े जानकारों में शामिल था. अयोध्या विवाद को लेकर उन्होंने मामले का समाधान के लिए एक विकल्प भी सुझाया था. मौलाना के बेटे ने बताया कि 1 सप्ताह पहले सीने में संक्रमण की शिकायत होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. बाद में उनकी कोविड-19 की जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई.
मौलाना का जन्म साल 1925 में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुआ था उनकी प्रारंभिक शिक्षा पारंपरिक रूप से हुई. उदारवादी प्रवृत्ति के पक्षधर मौलाना अपने जीवन भर सौहार्दपूर्ण समाज के बारे में हमेशा अपनी राय रखते आए थे. साथ ही उन्होंने कुरान की चरमपंथी एवं कट्टरवादी व्याख्याओं के खिलाफ मुहिम छेड़ी थी.
मौलाना के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताते हुए कहा कि धर्मशास्त्र तथा आध्यात्मिक ज्ञान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा. पीएम ने कहा “मौलाना वहीदुद्दीन खान के निधन से दुख हुआ है धर्मशास्त्र और अध्यात्म के मामलों में गहरी जानकारी रखने के लिए उन्हें याद किया जाएगा. वह सामुदायिक सेवा और सामाजिक सशक्तिकरण को लेकर बेहद गंभीर थे परिजनों और उनके असंख्य शुभचिंतकों के प्रति में संवेदना व्यक्त करता हूं”.