झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने राज्यवासियों को प्राकृतिक पर्व सरहुल की शुभकामनाएं दी है. झारखंड में सरहुल पर्व का अपना अलग ही महत्व है, सभी जाती और धर्मो के लोग इस पर्व को बड़े ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मिलकर मनाते है.
झारखंड में विभिन्न भाषा और समुदाय के लोग निवास करते है. पूरे प्रदेश की जनता को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अनोखे अंदाज़ में सरहुल पर्व की शुभकामनाएं दी है. पूरे झारखंड के चौक चौराहों पर सरकार की ओर से पोस्टर लगाया गया है जो चर्चा का विषय बना हुआ है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंडवासियों को कुल 7 भाषाओं में सरहुल पर्व की शुभकामना सन्देश दिया है. शायद झारखंड के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी मुख्यमंत्री की तरफ से सरहुल पर्व की शुभकामना संदेश इतने भाषाओं में दी गई हो.
मुख्यमंत्री हेमंत का कहना है कि झारखंड के विभिन्न इलाकों में बोल-चाल की भाषा अलग-अलग है इसलिए उन्ही भाषाओं में जनता के साथ संवाद भी करना जरुरी होता है. यही कारण है कि राज्य सरकार ने झारखंड के स्थानीय भाषाओं को सरकारी परीक्षाओं में अनिवार्य कर दिया है ताकि कोई भी अधिकारी उस क्षेत्र का बेहतर विकास कर सके और जनता की समस्याओं का समाधान कर सके.
Hemant Soren: झारखंड की भाषा और संस्कृति हेमंत सरकार के लिए सबसे महत्वपूर्ण
झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार बनने के बाद यह दर्शाने की कोशिश की गई है कि इस सरकार के लिए स्थानीय भाषा, संस्कृति, खान-पान जैसी चीज़े अत्याधिक महत्वपूर्ण है बिना इनकी जानकारी के किसी भी समाज का विकास संभव नहीं है. सीएम सोरेन ने अपने कई भाषणों में यह कहा भी है कि झारखंड के लोगो को उनकी संस्कृति और सभ्यता से दूर करने की कोशिश की जा रही है ताकि उनके अधिकारों पर कब्ज़ा किया जा सके लेकिन यह आपकी सरकार है आपके साथ कभी गलत नहीं होने देगी. हमारी सरकार गाँव-गाँव जा कर समस्या का निवारण कर रही है ताकि कोई गरीबी और भुखमरी का शिकार ना हो.