Jharniyojan: 22 साल के लंबे इंतजार के बाद किसी सरकार की कार्यशैली से झारखंडी (प्रवासी और आंतरिक दोनों तरह के) श्रमिकों में जाग उठी है उम्मीदें.
झारखंड राज्य के बने हुए 22 साल से अधिक समय बीत गया है. इन 22 सालों में कमोवेश हर वर्ग अपनी-अपनी शिकायतों के निपटाने के लिए जुझता रहा. इसमें एक वर्ग श्रमिकों का भी है. इसमें केवल राज्य के अंदर काम कर रहे श्रमिक ही नहीं बल्कि प्रवासी श्रमिक भी शामिल हैं.
ऐसे श्रमिकों की पहली बार अगर कोई सरकार सुध ले रही है, तो वह आदिवासी-मूलवासी वाली हेमंत सोरेन सरकार है. हेमंत सरकार श्रमिकों के हित में जिस तरह की कार्यशैली अपनायी है, जिस तरह से बेहतरीन नीतियां बना रही है, उससे झारखंडी श्रमिकों में एक उम्मीद जागने लगी है. उन्हें लगने लगा है कि पहली बार कोई सरकार उनके लिए काम कर रही है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का मानना है कि श्रमिकों का दूसरे राज्यों व देशों में पलायन होता है, लेकिन आज तक प्रवासी श्रमिकों के सुरक्षित और जवाबदेह पलायन के लिए कोई ठोस नीति या व्यवस्था नहीं बनाई गई. नीतियां बनाकर उस कमी को दूर किया जा रहा है.
Jharniyojan: जिला स्तर पर 10 लाख रुपये का कोष.
बीते साल सितंबर माह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में चल रही विभिन्न कल्याणकारी और विकास योजनाओं की प्रगति और प्रदर्शन की समीक्षा कर रहे थे. तब उन्होंने अधिकारियों को प्रवासी मजदूरों के लिए जिला स्तर पर 10 लाख रुपये का कोष बनाने का निर्देश दिया. सीएम ने कहा था कि कोष के माध्यम से प्रवासी मजदूरों को आपात स्थिति मदद की जाएगी. साथ ही किसी की दुर्घटना या मौत की स्थिति में तत्काल 50 हजार रुपये की मदद मुहैया कराई जाएगी.
Jharniyojan: प्रवासी श्रमिकों की सामान्य मौत पर 25,000 रुपये की मदद.
प्रवासी श्रमिकों के हित में बीते कैबिनेट की बैठक में एक अहम फैसला लिया है. राज्य के मृत या पीड़ित प्रवासी श्रमिकों के आश्रितों को राहत देने की दिशा में हेमंत सोरेन सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. अब केवल प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना की स्थिति में ही नहीं बल्कि सामान्य मौत पर भी प्रवासी श्रमिकों के शव को पैतृक आवास लाने के लिए परिजनों को सरकार 25000 रुपये की आर्थिक सहायता देगी. यह राशि पंजीकृत और गैर-पंजीकृत दोनों तरह के प्रवासी श्रमिकों पर लागू होगी.
Jharniyojan: दुमका, पश्चिमी सिंहभूम और गुमला जैसे जिलों के लिए सेफ एंड रेस्पांसेबल इनिसिएटिव (एसआरएमआई) की शुरुआत
पलायन करने वाले लोगों के लिए हेमंत सरकार ने सेफ एंड रेस्पांसेबल इनिसिएटिव (एसआरएमआई) की शुरुआत की है. इसे राज्य में पायलट प्रोजेक्ट के तहत 3 जिलों से शुरू किया गया. ये जिले दुमका, पश्चिमी सिंहभूम और गुमला हैं. तीन जिलों से दिल्ली, केरल और लेह-लद्दाख इत्यादि जगहों में रोजगार के लिए गए प्रवासी श्रमिकों का डाटाबेस तैयार किया गया है. इन सभी राज्यों से समन्वय स्थापित कर प्रवासी श्रमिकों के सामाजिक, आर्थिक और कानूनी हक सुनिश्चित किए जा रहे है.
Jharniyojan: पलायन रोक झारखंड में ही मजदूरों को रोजगार दिलाने की पहल, लांच हुआ झार नियोजन पोर्टल
राज्य से बेरोजगारों का पलायन रोकने और उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार दिलाने के लिए सीएम हेमंत सोरेन ने बीते दिनों ही झार नियोजन पोर्टल का उदघाटन किया है. http://jharniyojan.jharkhand.gov.in पर नियोक्ताओं (इम्पॉयलर) सहित श्रमिकों को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य किया गया है. बता दें कि पोर्टल की शुरूआत झारखंड राज्य के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम 2021 की अगली कड़ी है. यह अधिनियम 12 सितंबर 2022 से राज्य में प्रभावी है. यह अधिनियम उन सभी निजी प्रतिष्ठानों और नियोक्ताओं पर लागू होता है, जहां, 10 या उससे अधिक लोग कार्यरत हैं. जिनका मासिक वेतन 40,000 तक है. ऐसे पदों की नियुक्ति में 75% स्थानीय लोगों को नियुक्त करना अनिवार्य किया गया है.
Jharniyojan: हेल्पलाइन और संबंधित राज्य के मुखिया से बातचीत करना हेमंत सोरेन की व्यक्तिगत पहलें
नीतियां बनाने के अलावा सीएम व्यक्तिगत तौर पर भी श्रमिकों की स्थिति की जानकारी लेते रहते हैं. उस समय तो सीएम की गतिविधियां और बढ़ जाती है, जब प्रवासी श्रमिक किसी तरह की परेशानी में आ जाए. इस दौरान मुख्यमंत्री संबंधित राज्य के मुखिया से बातचीत करते हैं, तो हेल्पलाइन जारी कर परिजनों और श्रमिकों के बीच संपर्क साधते हैं. बीते दिनों तमिलनाडु राज्य में जब झारखंड के श्रमिकों के साथ कुछ गलत होने की खबर आयी, तो पुलिस और श्रम विभाग के अधिकारियों को झारखंड भेजा गया था.