झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और कभी झाविमो के सुप्रीमो रहे बाबूलाल मरांडी इन दिनों हेमंत सोरेन के पीछे अनेको आरोप लगा रहे है. हेमंत सोरेन को झारखण्ड का सबसे प्रभावशाली और मुख्यमंत्री की पहली पसंद बताने वाले बाबूलाल मरांडी जब से भाजपा में शामिल हुए है तब से हेमंत सोरेन और उनका परिवार उन्हें रास नहीं आ रही है.
हेमंत सोरेन और उनके परिवार पर कई आरोप लगाते हुए बाबूलाल मरांडी देखे जा सकते है लेकिन जब वे झाविमो के सुप्रीमो थे तब भाजपा की रघुवर सरकार के दौरान उनके विधायकों कि खरीद-फरोख्त का मामला तेज़ी से गरमाया था. बाबूलाल मरांडी ने खुद एक पत्र को जारी करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रविन्द्र राय पर करोड़ो रुपए देकर विधायकों को खरीदने का आरोप लगाया था हालाँकि यह बात अब दूसरी है कि उसी रघुवर दास के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बाबूलाल चल रहे है.
रघुवर सरकार में हुए विधायकों के खरीद-फरोख्त का सच क्यों भूल गए बाबूलाल, भाजपा का भ्रष्टाचार अब क्यूँ नहीं दिखता
विधायकों कि खरीद-फ़रोख्त का मामला जैसे ही बाबूलाल मरांडी ने उठाया भाजपा में शामिल होने वाले विधायक आग बबूला हो गए थे और जमकर मरांडी को खरी-खोटी सुनाई थी. सारठ से जीतने वाले रंधीर सिंह ने बाबूलाल मरांडी को पागल तक बता दिया था.
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रणधीर सिंह ने कहा कि इतना घटिया आरोप तो कोई पागल व्यक्ति ही लगा सकता है। उन्होंने कहा कि जनता ने बाबूलाल मरांडी को नकार दिया है, इसलिए वे इस तरह की आधारहीन बातें कर रहे है। मंत्री रणधीर सिंह ने कहा कि वे बाबूलाल मरांडी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराएंगे। उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी के साथ पूरा जालसाज गिरोह काम कर रहा है। भाजपा में शामिल होने के मुद्दे पर सफाई देते हुए रणधीर सिंह ने कहा कि जनता के हित और स्थाई सरकार के लिए उनसभी ने भाजपा का दामन थामा।
चुनाव परिणाम के पहले से सम्पर्क में थे बाबूलाल मरांडी- अमर बाउरी
तत्कालीन मंत्री अमर बाउरी ने दावा किया कि वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के पहले से ‘ही बाबूलाल मरांडी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से संपर्क थे। 23 दिसंबर 2014 को चुनाव परिणाम के बाद जब पहली बार झाविमो के आठ जीते हुए विधायकों की बैठक हुई, तो बाबूलाल मरांडी ने भाजपा में विलय के ऑफर किया। उन्होंने बताया कि 20 व 24 दिसंबर को नई दिल्ली में बाबूलाल मरांडी की मुलाकात अमित शाह से हो चुकी थी, इस मुलाकात के दौरान सुनील तिवारी भी उनके साथ थे।
भाजपा की रघुवर सरकार के दौरान हुए इस भ्रष्टाचार पर अब बाबूलाल मरांडी के जुबान से कुछ नहीं निकलता है. सत्ता कि सनक बाबूलाल पर ऐसा चढ़ा है की जिस पार्टी को “भ्रष्टाचार की जननी” एवं “कुतुबमीनार से कूद जायेंगे लेकिन भाजपा में नहीं जायेंगे” शब्दों से संबोधित करते थे उसी पार्टी में दोबारा शामिल होकर भाजपा के गुनाहों को छुपा रहे है. विधायकों का खरीद-फरोख्त, मोमेंटम झारखण्ड घोटाला, कंबल घोटाला सहित अन्य भ्रष्टाचार के आरोपों पर अब बाबूलाल राजनितिक शांति कि यात्रा पर चले गए हो ऐसा प्रतीत होता है.