NEW DELHI: बीजेपी के संसदीय बोर्ड 2022 का गठन किया गया है जिसमें बीजेपी की दिग्गज नेताओं का नाम लिस्ट से बाहर किया गया है।जो खबर निकल कर सामने आई है उससे पहले विपक्ष के नेताओं ने बीजेपी पर हमेशा यह आरोप लगाते रहे हैं कि बीजेपी में दो लोगों को चलती है और बीजेपी हम दो (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह) हमारे दो अनिल अंबानी एवं गौतम अडानी के फार्मूले पर काम कर रही है।
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बता दें कि बीजेपी में जितने भी बड़े फैसले लिए जाते हैं, वह भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड द्वारा लिया जाता है। और इससे सबसे बड़ी खबर निकलकर ये आ रही है कि संसदीय बोर्ड 2022 के गठन लिस्ट से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लिस्ट से किनारे कर दिया गया है यूपी के बड़े-बड़े नेताओं का यह कयास था कि उत्तर प्रदेश में दूसरी बार योगी आदिनाथ की सरकार बनी है तो उनका नाम संसदीय बोर्ड में होगा परंतु ऐसा नहीं हुआ।बता दें कि इस संसदीय बोर्ड गठन लिस्ट से नितिन गडकरी का नाम भी बाहर कर दिया गया है जो यह कहा जाता है कि इस सरकार में सबसे काबिल मंत्री बताया जाता रहा है।
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जो तीसरी सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम भी इस लिस्ट से बाहर कर दिया गया।क्या रही वजहलोगों का यह मानना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में लगातार मजबूत होते जा रहे हैं और अमित शाह से जुड़े तमाम चेहरे को धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश से बाहर का रास्ता दिखा रहे थे। बता दें कि उत्तर प्रदेश में सुनील बंसल जो अमित शाह की बहुत करीबी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-अमित शाह के आंख-कान थे। सीएम योगी से नाराज विधायक सुनील बंसल से मिलकर अपना दुखड़ा सुनाते थे। तब योगी आदित्यनाथ इसे दिल्ली भेजने के प्रयास में सफल हो गए थे जिसे लोग कह रहे थे कि यह योगी आदिनाथ की बहुत बड़ी जीत है परंतु भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड से नाम बाहर करने से यह स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी में सिर्फ दो ही लोग का चलता है जबकि आर एस एस के सबसे चाहिते नेताओं में योगी आदित्यनाथ का नाम आता है।वहीं, सीएम शिवराज सिंह चौहान पर लगातार ये आरोप लग रहे थे कि वह अपने करीबियों और रिश्तेदारों को नेता बनाने में लगे हुए थे,जोकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ऐसा नहीं चाहते थे कि उनके सहयोग से उनके रिस्तेदार राजनीतिक में आगे बढ़े।नितिन गडकरी जो सबसे काबिल मंत्री के नाम से भी प्रसिद्ध है और बीजेपी में लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति नितिन गडकरी का मुखर होकर बीच-बीच में पार्टी के विरोध बोलने के कारण भी उसे संसदीय बोर्ड से बाहर किया गया ऐसा लोगों का मानना है।