Ranchi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren
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मुख्यमंत्री द्वारा दायर रेट पिटीशन में पीएमएलए-2002 की धारा 50 और 63 की वैधता को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि पीएमएलए का यह प्रावधान संविधान द्वारा दिये गए मौलिक अधिकारों के खिलाफ है. आईपीसी के तहत किसी मामले की जांच के दौरान जांच एजेंसी के समक्ष दिए बयान की मान्यता कोर्ट में नहीं है, लेकिन पीएमएलए की धारा 50 के तहत जांच के दौरान एजेंसी के समक्ष दिए गए बयान की कोर्ट में मान्यता है. पीएमएलए की धारा 19 के तहत जांच एजेंसी को धारा 50 के तहत बयान दर्ज करने के दौरान ही किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार है इससे पूछताछ व धारा 50 के तहत बयान दर्ज करने के लिए समन जारी होने पर लोग डरे रहते हैं. श्री सोरेन ने पिटीशन में कहा है कि ईडी ने उन्हें पहले अवैध खनन के सिलसिले में समन जारी किया था इसके आलोक में वह ईडी के समक्ष हाजिर हुए. अपना बयान दर्ज कराया अपनी और पारिवारिक संपत्तियों का ब्योरा दिया. उनकी और उनके परिवार की सारी संपत्ति आयकर में घोषित है. याचिकादाता से जिन संपत्तियों का ब्यौरा मांगा जा रहा है, वह सीबीआई को भी दिया जा चुका है इसके बावजूद ईडी ने उन्हें फिर समन भेजा है. याचिकादाता का यह अधिकार है कि उसे यह बताया जाए कि उससे किस कथित अपराध के सिलसिले में साक्ष्य देने की जरूरत है. पर इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है. यह समन पीएमएलए के मूल उद्देश्य के खिलाफ और गैरकानूनी है याचिकादाता को संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों के खिलाफ है.
याचिका में ईडी द्वारा बार-बार समन जारी किए जाने को राजनीतिक विद्वेष से की गई कार्रवाई का नाम दिया गया है. मामले में हिरासत में लेने की धमकी देकर सत्ताधारी दल से हाथ मिलाने के लिए मजबूर किया जा रहा है. याचिका में ईडी के समन को स्थगित करने और याचिका के निष्पादित होने तक समन के आलोक में पीड़क कार्रवाई नहीं करने का आदेश देने का अनुरोध किया गया है.
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