उन्होंने बताया की नई शिक्षा नीति (New Education Policy) में स्कूल एजुकेशन से लेकर हायर एजुकेशन तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं. हायर एजुकेशन के लिए सिंगल रेगुलेटर रहेगा (लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर). उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी GER पहुंचने का लक्ष्य है.
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मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू किया जायेगा. अभी की व्यवस्था में अगर चार साल इंजीनियरंग पढ़ने या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारणवश आगे नहीं पढ़ पाते हैं तो कोई उपाय नहीं होता, लेकिन मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम में 1 साल के बाद सर्टिफिकेट, 2 साल के बाद डिप्लोमा और 3-4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी. जो स्टूडेंट्स के लिए एक अच्छा कदम है.
स्कूली शिक्षा में किया गया बदलाव:
6-9 वर्ष के जो बच्चे 1-3 क्लास में होते हैं उनके लिए नेशनल मिशन शुरू किया जाएगा ताकि बच्चे बुनियादी साक्षरता और न्यूमरेसी को समझ सकें. स्कूली शिक्षा के लिए खास करिकुलर 5+3+3+4 लागू किया गया है. इसके तहत 3-6 साल का बच्चा एक ही तरीके से पढ़ाई करेगा ताकि उसकी फाउंडेशन लिटरेसी और न्यमरेसी को बढ़ाया जा सके. इसके बाद मिडिल स्कूल यानी 6-8 कक्षा में सब्जेक्ट का इंट्रोडक्शन कराया जाएगा. फिजिक्स के साथ फैशन की पढ़ाई करने की भी इजाजत होगी. कक्षा 6 से ही बच्चों को कोडिंग सिखाई जाएगी.
रिसर्च में बदलाव:
रिसर्च में जो रूचि रखते हैं उनके लिए 4 साल का डिग्री प्रोग्राम किया जायेगा. और जो नौकरी में जाना चाहते हैं उनके लिए 3 साल का ही डिग्री प्रोग्राम किया जायेगा . लेकिन जो रिसर्च में जाना चाहते हैं वो एक साल के एमए (MA) के साथ चार साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद पीएचडी (PhD) कर सकते हैं. इसके लिए एमफिल (M.Phil) की जरूरत नहीं होगी.