चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन के कोर्ट ने कहा कि यदि एक सप्ताह में निर्णय नहीं लिया गया तो विधानसभा सचिव को अदालत में सशरीर हाजिर होना होगा। बुधवार को हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन एवं एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह निर्देश दिया। अगले सप्ताह फिर इस मामले की सुनवाई होगी।
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एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता नवीन कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने से कई समस्याएं आ रही हैं। कई संवैधानिक पदों पर नियुक्ति नहीं हो रही है। राज्य में नेता प्रतिपक्ष नहीं होने का बहाना बनाकर सरकार नियुक्ति नहीं करना चाह रही है। सरकार का यह कहना की आयोग के सदस्य और अध्यक्ष की नियुक्ति नेता प्रतिपक्ष नहीं रहने के कारण बाधित है, गलत है। ऐसा प्रावधान भी है कि अगर नेता प्रतिपक्ष न हो तो उसकी जगह पर राज्य में दूसरे सबसे बड़े दल के नेता की सहमति से नियुक्ति की जा सकती है।
Jharkhand Highcourt ने विधानसभा सचिव को जल्द निर्णय लेने को कहा, नहीं तो सशरीर होना पड़ेगा हाज़िर
बुधवार को इस जनहित याचिका के साथ एक अवमानना याचिका पर भी सुनवाई हुई। अवमानना याचिका प्रार्थी राजकुमार ने दायर की है। प्रार्थी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य सूचना आयोग में रिक्त पदों को भरने के लिए विपक्ष के नेता के पद के रिक्त रहने से कोई समस्या नहीं है। कानून में ऐसा प्रावधान है कि अगर नेता प्रतिपक्ष नहीं है तो विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी के नेता को कमेटी में रखकर राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्त एवं अन्य पदों नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।
नेता प्रतिपक्ष नहीं होने से लोकायुक्त, सूचना आयुक्तों, पुलिस शिकायत प्राधिकार, मानवाधिकार आयोग समेत कई संवैधानिक पद पर नियुक्ति नहीं हो सकी है। लोकायुक्त कार्यालय और सूचना आयोग में आवेदन लंबित हैं। इनका निष्पादन नहीं हो रहा है। इससे लोगों को इन संस्थानों का लाभ नहीं मिल रहा है। संवैधानिक पदों को सालों रिक्त रखना नियमों का उल्लंघन भी है। इन पदों को भरने के लिए सरकार को कई बार आवेदन दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।