रांची। झारखंड में राजनीतिक गलियारों में अजीब सा हाल चल मचनेवाला है। 2019 के विधानसभा चुनाव में जीतने के बाद मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन आए थे। तब से सत्ता गिरने और गिराने की कवायत और प्रयास सुनने को मिलता रहा है। भाजपा प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व लगातार हेमंत सोरेन की सरकार को अस्थिर करने का खबर सुनने को मिलता रहा है।
ऐसा क्या बात है हेमंत सोरेन के नेतृत्व में
*आदिवासियों के हित के निर्णय:- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा समाज के सबसे निचले तबके से लेकर समाज के प्रति तत्वों को लेकर के गए उत्थान कार्यों से झारखंड विकास की ओर लगातार प्रगति कर रही थीं।
नेतरहाट: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का अवधि विस्तार पर रोक लगाया। और मूल निवासियों का उनका हक दिलाने का काम किया। बता दें कि फील्ड फायरिंग रेंज के विरुद्ध में वहां के आदिवासी, मूल निवासी पिछले 28-30 वर्षों से लगातार आंदोलनरत थे। फायरिंग रेंज में आने वाले 1471 वर्ग किलोमीटर भूमि पर अब वहां के गरीबों का अधिकार हो, इस के लिए भी मुख्यमंत्री ने मूल निवासियों को जल पूरा करने का बात कहें।
पथलगढ़ही:- सीएनटी/एसपीटी एक्ट के संशोधन के विरोध और पत्थलगड़ी के समर्थन में सैकड़ों लोग सड़क पर उतर आए थे।अपनी मांगों को लेकर आंदोलनकारी सड़क पर बैठे गए थे। काफी मशक्कत के बाद प्रशासन आंदोलनकारियों को सड़क से हटाई पाई थी और मामले में पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया और उन लोगों पर केस कर दिया था। तब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस केस को वापस ले लिया था। तभी विरोध कर रहे आदिवासी का क्लिक सभा ने सरकार के इस फैसले को स्वागत किया था।
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सरनाधर्मकोड:- कई आदिवासियों नेताओं का कहना है कि भाजपा आदिवासियों का भला नहीं चाहते हैं। यदि चाहते तो सन् 1951 की जनगणना के बाद देश के आदिवासियों को धर्म के आधार पर “अन्य कॉलम” में डाल दिया गया था। और आदिवासी लगातार अपने अस्तित्व और सरना धर्म कोड को लेकर आंदोलनरत रहे हैं। जबकि 22 साल के झारखंड में ज्यादातर सत्ता बीजेपी के पास रही। वर्ष 2011 की जनगणना में झारखंड में सरना मतावलंबियों ने लगभग 40 लाख से अधिक संख्या में खुद को सरना के रूप में दर्ज किया। झारखंड राज्य आदिवासी बहुल राज्य है और उनके सम्मान और पहचान के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने “सरना धर्म कोड” को विधानसभा में मोहर लगाकर केंद्र के पास भेज दिया परंतु केंद्र का इस संबंधित कोई बात निकलकर सामने नहीं आई।
प्रदेश भाजप भी सरना धर्म कोड के बात को लेकर चुप्पी साधते नजर आते हैं।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं का लगातार कहना है कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड लगातार विकास के एक नए कीर्तिमान को छू रहा है और वे लोग लगातार आरोप भाजपा पर लगाते हुए आए हैं कि आदिवासी नेतृत्व से भाजपा डरी हुई महसूस कर रही है। झारखंड प्रदेश में भाजपा अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित है जिस कारण वर्तमान हेमंत सोरेन सरकार को भाजपा अस्थिर करने के लिए केंद्रीय संविधानिक एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है।