झारखंड में एक बार फिर लैंड म्युटेशन बिल को लेकर सियासत गर्मा गई है. राज्य कि हेमंत सरकार के द्वारा कैबिनेट से पास होने के बाद लैंड म्युटेशन बिल को सदन से पास होना है. विधानसभा का मानसून सत्र भी जारी है. ऐसे माना जा रहा था कि सत्ताधारी दल कि तरफ से बिल को पास कराने के लिए सदन में पेश किया जायेगा. सदन में लैंड म्युटेशन बिल पेश होने से पहले ही इसका विरोध होना शुरू हो गया. मुख्य विपक्षी दल भाजपा इसका विरोध तो कर ही रही थी लेकिन कई आदिवासी संगठन और महागठबंधन के कांग्रेस विधायक भी इस बिल के विरोध में उतर आये जिनमें सबसे बड़ा नाम विधायक बधू तिर्की का है.
अंदेशा जताया जा रहा था कि मानसून सत्र के पहले दिन झारखंड लैंड म्युटेशन बिल सदन में पेश किया जायेगा, जिस वजह से सदन के भीतर बिल का विरोध करने के लिए बीजेपी पूरी तरह से तैयार थी लेकिन सदन में बिल न लाकर हेमंत सोरेन ने उनके मनसूबे पर पानी फेर दिया. सदन में बिल न पेश होना हेमंत सोरेन के उस राजनितिक सूझ-बुझ को दर्शाता है जहाँ वे लगातार झारखंडी सरकार होने का दावा करते है. बिल का विरोध होने के बाद CM हेमंत सोरेन ने साफ़ किया है कि जो बिल राज्य कि जनता के हित में नहीं होगा उसे पारित नहीं किया जायेगा. झारखंडी आकांक्षाओ को पूरा करने वाला बिल ही सदन से पारित किया जायेगा.
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कैबिनेट से पारित होने के बाद से लगातार झारखंड लैंड म्युटेशन बिल का विरोध बीजेपी के झारखंड इकाई के द्वारा किया जा रहा है. सदन के भीतर भी सत्ता पक्ष और विपक्ष में गर्मा-गर्मी देखने को मिल सकती थी लेकिन फिल्हाल सत्ता पक्ष विपक्ष को कोई भी मौका नहीं देना चाहती है. लेकिन विपक्ष सत्ताधारी दलों को अपने विरोध के जरिये कड़ी टक्कर देने कि तैयारी में है. इसी कड़ी में आज बीजेपी राज्य के सभी जिलो में कैबिनेट से पास हुई लैंड म्युटेशन बिल कि प्रति जला कर अपना विरोध दर्ज करेगी. विरोध के जरिये बीजेपी यह भी जताने कि कोशिश में है कि वह बिल को लेकर शुरुआत से विरोध कर रही है. साथ ही आने वाले दो विधानसभा सीटों के उपचुनाव के नजरिये से भी बीजेपी इस विरोध को अहम कड़ी के रूप में देख रही है. बीजेपी राज्य कि हेमंत सरकार पर विरोध का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहती है.
क्या है लैंड म्युटेशन बिल, जिसे लेकर मचा है बवाल:
कैबिनेट द्वारा पारित झारखंड लैंड म्युटेशन विधेयक-2020 के जरिये सरकार का प्रयास जमाबंदी की प्रक्रिया को सरल करना है. विधेयक के पास होने से ऑनलाइन जमाबंदी कि प्रक्रिया को भी अनुमति मिलेगी. अवैध और दोहरी जमाबंदी को रद्द करने का अधिकार जो पहले एलआरडीसी के पास होता था वो इस बिल के पारित होने के बाद अपर समाहर्ता के पास हो जायेगा. बिल के पास होने से अपील जिले के उपायुक्त के पास किया जा सकता है, जबकि पहले अपील के लिए सरकार के पास जाना पड़ता था. बिल में यह भी प्रावधान है कि जिले के डीसी से अपील और कमिश्नर के पास पिटीशन दायर कि जा सकती है.
कोई भी रैयत CEO के यहाँ ऑनलाइन कर सकेंगे. एक समय सीमा के तहत म्युटेशन के कार्य निचे से लेकर ऊपर तक के अधिकार पूरा करेंगे. अगर समय पर कार्य पूरा करते हुए नहीं पाया गया है तो उन्हें दंड भी देने का प्रावधान है. जमाबंदी को रद्द करने का अधिकार एसी को दिया गया है. पहले सरकार के पास जाने पर ही अपील कि जा सकी थी लेकिन बिल आने के बाद संबधित जिला के डीसी से अपील किया जा सकता है.