पूर्व की रघुवर सरकार के दौरान कंबल घोटाला होने का जिक्र किया जाता रहा है, उसकी सच्चाई मालूम करने के लिए और घोटाला हुआ है या नहीं, अगर हुआ है तो कौन-कौन इसका जिम्मेदार है. इन्ही बातो का पता लगाने और सरे घटना क्रम को सामने लाने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ACB जाँच के आदेश दिए है.
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हरियाणा के पानीपत से कंबल की हुई थी खरीदारी और ऐसे हुआ घोटाला:
झारक्राफ्ट ने कम्बल बुनाई के लिए हरियाणा के पानीपत से 18.81 लाख किलो ऊनी धागा ट्रको से मांगाने और उसकी बुनाई के बाद फिनिशिंग टच के लिए कंबलों को पानीपत भेजने के लिए कुछ कंपनियों से करार किया। AG की रिपोर्ट कहती है कि झारक्राफ्ट ने जिन ट्रको से धागा मंगवाने और फिर फिनिशिंग टच के लिए पानीपत भेजने का दवा किया है, वे जाँच में फर्जी पाया गया है. AG ने जब इन ट्रकों के पानीपत से झारखण्ड आने के दौरान विभिन्न टोल प्लाजा से उनके गुजरने के दावे का जब NHAI ( नेशनल हाईवे आथरिटी ऑफ़ इंडिया ) के दस्तावेजों से मिलान किया तो वे दावे फर्जी सभी हुए। दरअसल उन तारीखों को वे सभी ट्रक इन टोल प्लाजा से जुगरे ही नहीं।
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क्या था कंबल घोटाले का कारण:
दरअसल, रघुवर सरकार ने वर्ष 2017-18 के दौरान गरीबो के बीच कंबल बाँटने के लिए करीब 10 लाख कंबल बनाने का जिम्मा झारक्राफ्ट को दिया था. उस वक्त के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा था कि हर साल यह काम टेंडर करके निजी कंपनियों को दिया जाता था, लेकिन इस बार हमलोग कंबल बुनाई का काम राज्य की सखी मंडलों और बुनकर समितियों को देंगे ताकि वे आर्थिक तौर पर मजबूत हो सके. यह काम झारक्राफ्ट के जरिये होगा। सरकार इन कंबलों को खरीदेगी और इन्हे गरीबो में बांटा जायेगा।
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14 करोड़ का फर्जी भुगतान हुआ था:
झारक्राफ्ट ने 144 ट्रकों के 320 फेरे लगाने का तारीखवार दस्तावेज सौपा था, इनमे से 318 ट्रिप फर्जी पाया गया. पानीपत से 19.93 लाख किलो ऊनी धागा मँगवाने के दावे की जाँच के क्रम में एजी ने पाया कि इनमे से 18.81 लाख किलो धागा मंगवाया ही नहीं गया. जबकि इसके बदले 14 करोड़ भुगतान कर दिए गए. ऐसे में कई और भी फर्जी भुगतान किए गए. जैसे कि एक-एक सखी मंडल से एक दिन में तीन-तीन लाख पीस कंबलो की बुनाई के दावे किये गए, जो संभव नहीं थे.
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झारक्राफ्ट कंबल घोटाले में ये है मुख्य आरोपी:
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारक्राफ्ट द्वारा हरियाणा के पानीपत से कंबल खरीदने में हुई अनियमितता के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को प्रारंभिक जांच दर्ज कर जांच करने के प्रस्ताव पर अपनी स्वीकृति दे दी है l कंबल खरीदने में हुई अनियमितता के मामले में झारक्राफ्ट के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी रेणु गोपीनाथ पणिकर, उप महाप्रबंधक मोहम्मद नीसम अख्तर और मुख्य वित्त पदाधिकारी अशोक ठाकुर को आरोपी बनाया गया हैl
ज्ञात हो कि उद्योग विभाग द्वारा झारक्राफ्ट द्वारा कंबल खरीद में हुई अनियमितता की विस्तृत जांच और आरोपियों के खिलाफ अपेक्षित कार्रवाई की अनुशंसा किए जाने के आलोक में मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिया है l इसके तहत सरकार द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को प्रारंभिक जांच हेतु ऐसे मामले सौपे जाएंगे, जिनमें लोक सेवकों के विरुद्ध पद के आपराधिक दुरुपयोग और भ्रटाचार के आरोप समाहित होंगेl