संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए राज्य सरकार ने ई-पास की अनिवार्यता को लागू किया है. जिससे जिले के अंदर गतिविधि करने या एक जिले से दूसरे जिले जाने के लिए भी लोगों को ई-पास की जरूरत होगी. ई-पास को पाने के लिए लोगों को कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ रहा है. साथ ही जिले के अंदर गतिविधि करने के लिए लोग ई-पास को महत्व नहीं दे रहे हैं. साथ ही उसे समाप्त करने की मांग कर रहे हैं. झारखंड में निजी वाहन चलाने के लिए ई-पास की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर 20 मई को सुनवाई होगी. झारखंड हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में यह मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.
जनहित याचिका दायर करने वाले राजन कुमार सिंह का कहना है कि झारखंड सरकार के स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के तहत निजी वाहन चलाने के लिए ई-पास अनिवार्य करने को संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. राजन कुमार का कहना है कि सरकार के आदेश से निजता के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन होता है आगे उन्होंने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट में अर्जेंट सुनवाई नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की है उन्होंने ई-पास की अनिवार्यता निरस्त करने की मांग की है.