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सीएम हेमंत सोरेन करेंगे “मुख्यमंत्री श्रमिक योजना” की शुरुआत, श्रमिक वर्ग को दिया जायेगा रोजगार

झारखंड में कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन कि वजह से निचले वर्ग को काफी बुरी तरह से प्रभावित किया है. बड़ी संख्या में राज्य के मजदूर अन्य प्रदेशों में रोजगार कि तलाश में जाते है. झारखंड में रोजगार के अवसर कई है लेकिन राज्य में जितनी भी सरकारे बनी कोई भी मजदूरों का पलायन नहीं रोक सक। लॉकडाउन के दौरान सामने आए आंकड़ों के अनुसार राज्य के तक़रीबन 8 लाख से अधिक मजदूर अन्य प्रदेशो में जा काम करते है.

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राज्य कि हेमंत सरकार मजदूर को रोजगार देने और पलायन रोकने के लिए एक बार फिर एक नई योजना लागू करने जा रही है. शुक्रवार (14 अगस्त) को राज्य के शहरी अकुशल श्रमिकों को राज्य सरकार कि तरफ से तोहफा मिलने वाला है. लॉकडाउन होने कि वजह से रोजी-रोटी का संकट झेल रहे मजदूरों को मनरेगा के कार्यो द्वारा राज्य कि हेमंत सरकार रोजगार उपलब्ध करा रही है. परन्तु राज्य के शहरी इलाको में रहने वाले लोगो को मनरेगा में काम नहीं मिल पता है. शहरी श्रमिकों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए “मुख्यमंत्री श्रमिक योजना” कि शुरुआत होने जा रही है. मुख्यमंत्री शुक्रवार को शाम 4 बजे प्रोजेक्ट भवन में इस योजना का शुभारंभ करेंगे।

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मुख्यमंत्री श्रमिक योजना का मकसद राज्य के नगर निकाय वाले इलाको में रहने वाले श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराना है. इस योजना को राज्य के 51 नगर निकायो में शुरू किया जायेगा। इस योजना के तहत श्रमिकों को राज्य सहित जिला स्तर कि योजनाओ में रोजगार दिया जायेगा। जिस प्रकार मनरेगा में जॉब कार्ड कि प्रक्रिया होती है उसी तरह इसमें भी जॉब कार्ड बनेगा। श्रमिक अपने नजदीकी प्रज्ञा केंद्र से इसे बना सकते है.

मुख्यमंत्री श्रमिक योजना के तहत बनने वाले इस जॉब कार्ड की अवधि 5 वर्षो कि होगी। इस योजना में मजदूरों को कम से कम 100 दिनों का रोजगार पाने का हक़ होगा। पूर्व से निर्धारित राशि के तहत श्रमिकों को 274 प्रतिदिन के रूप में मिलेंगे। यदि श्रमिकों को 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो सरकार कि तरफ से बेरोजगारी भत्ता दिया जायेगा।