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Jharkhand School Of Excellence: उत्कृष्ट विद्यालयों में विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए होगी नि:शुल्क कोचिंग की व्यवस्था

News Desk

Jharkhand School Of Excellence: झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य भर में 80 उत्कृष्ट विद्यालय की शुरुआत किया है. यह सभी विद्यालय सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त है. इन स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई होगी, आधुनिक सुविधाओं से लैस ये विद्यालय निजी स्कूलों को टक्कर देने के लिए तैयार है.

उत्कृष्ट विद्यालय के उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान सीएम सोरेन ने कहा था कि शिक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। आज 80 उत्कृष्ट विद्यालयों का राज्यस्तरीय शुभारंभ हुआ है। आने वाले समय में झारखंड में और 5 हजार विद्यालयों को उत्कृष्ट विद्यालय (स्कूल ऑफ एक्सीलेंस) के रूप में अपग्रेड किया जाएगा। सभी उत्कृष्ट विद्यालयों के प्राचार्य एवं शिक्षकों को राज्य सरकार द्वारा आईआईएम से सीबीएसई कोर्स के अनुरूप प्रशिक्षण दिलाया गया है। 

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मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के आदिवासी, दलित, पिछड़े, मजदूर एवं किसान सहित सभी वर्ग-समुदाय के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। हमारी सरकार निरंतर राज्य में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।

Jharkhand School Of Excellence में IIT, NEET, CLAT, NTSE सहित अन्य प्रतियोगिता परीक्षा की होगी नि:शुल्क तैयारी

झारखंड एक आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है, शिक्षा को लेकर लोग जागरूक तो है लेकिन आर्थिक कारणों से कई प्रतिभावान विद्यार्थी उच्च शिक्षा को प्राप्त नहीं कर पाते है. हेमंत सरकार ने उत्कृष्ट विद्यालय के मध्यम से शिक्षा की जड़ो को मजबूत करने का एक बेहतरीन प्रयास किया है. सरकारी स्कूलों को निजी विद्यालयों के मुकाबले में खड़ा करने का प्रयास किया गया है साथ ही अब सरकार उन विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को नि:शुल्क IIT और NEET जैसे प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करायी जाएगी.

बता दें कि उच्च शिक्षा के लिए भी हेमंत सोरेन की सरकार मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के नाम से स्कालरशिप चला रही है जो प्रतिभावान विद्यार्थियों को विदेशों में भेज कर उनकी पढ़ाई पूरी करवा रही है. झारखंड बनने के बाद ऐसे कार्य पहली बार हो रहे है जो इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में लिखी जानी चाहिए. मुख्यमंत्री की दूरदर्शी सोच का ही नतीज़ा है कि झारखंड जैसे राज्य में सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम का बना दिया गया है.