विधानसभा बजट सत्र के दौरान सदन के अंदर जनता से जुड़े कई मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता सदन में अपनी बातों को रखते हैं. परंतु कई बार ऐसा होता है कि सदन के अंदर जो बातें नहीं उठाई जा सकती है और ना ही विभाग या फिर सरकार की तरफ से कोई कार्यवाही होती है तो सदन के बाहर पक्ष और विपक्ष के नेता धरने पर बैठने को मजबूर हो जाते हैं और अपनी बाते रखने की कोशिश करते है.
ताजा मामला झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक लोबिन हेंब्रम सदन के बाहर धरने पर बैठ गए. विधायक लोबिन हेंब्रम गोड्डा जिले के डीडीसी की मनमानी मामले को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे विधायक ने कहा कि इसको लेकर उन्होंने गोड्डा जिले के डीसी और डीडीसी से बात की थी वहां पर उनकी भी शिकायत की परंतु अधिकारियों की मनमानी पूर्ववर्ती सरकार में जैसे चल रही थी उससे ज्यादा इस सरकार में चल रही है. उनकी तरफ से जो पूर्व में आंगनबाड़ी सेविका सहायिका का चयन किया गया था उसको रद्द करते हुए अलग से एक और विज्ञापन निकाल दिया गया है. जिसके बाद से लगातार क्षेत्र में जनता आक्रोशित है उन्होंने कहा कि क्या सदन में सवाल नहीं पूछ सकते? धरना पर बैठा हूं भले ही मैं सत्ता दल में शामिल हूं लेकिन सरकार मेरी बात नहीं मान रही है.
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दरअसल, विधायक लोबिन हेंब्रम का कहना है कि पूर्ववर्ती सरकार के समय 2019 में आंगनबाड़ी सेविका सहायिका का चयन किया गया था लेकिन 1 साल बीत जाने के बाद भी आंगनबाड़ी सेविका सहायिका को जॉइनिंग लेटर प्राप्त नहीं हुआ है जिसे लेकर लगातार जनता और आंगनबाड़ी सेविका सहायिका हमारे पास फरियाद लेकर पहुंचती है. इसे लेकर मैंने सदन के अंदर भी बात रखने का काम किया और सरकार से जवाब मांगा परंतु आश्चर्य की बात है कि सरकार से कोई भी जवाब नहीं मिला.
आगे विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि मैं बैनर तख्ती लेकर सदन से लेकर गोड्डा जिले तक पैदल जाऊंगा और डुगडुगी बजाने का काम करूंगा उन्होंने कहा कि सरकार भले ही मेरी बात सुने या ना सुने मैं अकेला तीन अधिकारियों की मनमानी को चलने नहीं दूंगा और विरोध करूंगा. इससे पहले भी विधायक सरयू राय ने सदन के भीतर यह कह चुके है कि सरकार में अधिकारी सवाल का सही जवाब नहीं देते हैं बल्कि वह गुमराह करने की कोशिश करते हैं.