झारखंड के प्रभारी डीजीपी एम वी राव कि नियुक्ती प्रक्रिया और पूर्व डीजीपी कमल नयन चौबे को समय अवधि पूरा होने से पहले हटाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गिरिडीह के रहने वाले एक व्यक्ति ने याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था और पूछा था कि समय से पहले कमल नयन चौबे को क्यों हटाया गया था.
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साथ ही यूपीएसी द्वारा गठित आईपीएस अधिकारियो के पैनल कि तरफ से भेजे गए फाइल को राज्य सरकार कि तरफ से लौटा दिया गया था. जिस पर राज्य सरकार से जवाब मांगा गया था. राज्य सरकार ने पत्र लिख कर अपना जवाब यूपीएसी को दिया है. राज्य सरकार कि तरफ से दिए गए जवाब में कहा गया कि हेमंत सोरेन कि सरकार बनने के बाद कमल नयन चौबे को तक़रीबन तीन माह वक्त दिया गया था कि वह राज्य में विधि-व्यवस्था को सही करे, परन्तु ऐसा नहीं हुआ.
राज्य सरकार ने अपने पत्र में यह भी दर्शय है कि कमल नयन चौबे ने दिए गए समय को सही से उपयोग नहीं कर सके और उनके डीजीपी रहते राज्य में लोहरदगा जिले में सांप्रदायिक दंगे हुए. राज्य सरकार कि तरफ से खरी-खरी सुनते हुए कहा गया कि यूपीएसी में कमल नयन चौबे के एक करीबी है जो झारखंड के मामलो को प्रभावित कर सकते है. राज्य का डीजीपी कौन होगा यह राज्य सरकार तय करेगी. यूपीएसी सिर्फ भेजे गए नामों को स्वीकृति प्रदान कर सकती है यदि वही सही है तो, यूपीएसी को यह तय करने का अधिकार नहीं है कि कौन राज्य का डीजीपी होगा.
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प्रभारी डीजीपी एमवी राव को प्रभारी से स्थायी डीजीपी बनाये जाने के लिए राज्य सरकार कि तरफ से सिफारशी कि गई लेकिन आईपीएस अधिकारियो के पैनल ने यह कहते हुए फाइल लौटा दिया कि डीजीपी कि सिफारशी का पैनल 2 साल में एक बार बैठता है फिर समय अवधि से पूर्व कैसे किसी को नियुक्त किया जा सकता है.