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Sarna Dharam Code: नेपाल में आदिवासियों के लिए है अलग धर्म कोड, भारत में 12 करोड़ आबादी के बाद भी नहीं मिला अलग धर्म कोड

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Sarna Dharam Code: राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा की ओर से रविवार को हरमू मैदान में सरना प्रार्थना सभा सह सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में झारखंड के विभिन्न जिलों के साथ नेपाल के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. सम्मेलन के माध्यम से केंद्र सरकार से अविलंब सरना धर्म कोड लागू करने की मांग की गयी. साथ ही कुरमी को एसटी सूची में शामिल करने और पारसनाथ पर जैन धर्मियों के एकाधिकार का विरोध किया गया.

विशेष प्रतिनिधि के रूप में नेपाल से आये पूर्व सांसद और आदिवासी नेता सूर्यदेव दास उरांव ने कहा कि नेपाल में 3 लाख के करीब उरांव जनजाति के लोग निवास करते हैं. वहां की सरकार ने इनके लिए अलग धर्म कोड दे रखा है. मगर यह बहुत ही दुर्भाग्यजनक है कि भारत में 12 करोड़ से अधिक प्रकृति पूजक आदिवासी निवास करते हैं. इसके बावजूद यहां अलग धर्म कोड नहीं है. उन्होंने कहा कि पारसनाथ पहाड़ी संथाली आदिवासियों का प्रमुख धार्मिक स्थल रहा है. वहां पर केवल एक धर्म का एकाधिकार देना गलत है.

Sarna Dharam Code: कुरमी को एसटी में शामिल करने पर होगा उग्र आंदोलन, सरना का प्रचार-प्रसार करने का बना रोडमैप

राष्ट्रीय सरना धर्मगुरु प्रो प्रवीण उरांव ने कहा कि झारखंड में हर किसी को एसटी सूची में शामिल होने का धुन सवार है. कुरमी जाति तो एसटी सूची में शामिल होने की पात्रता नहीं रखती है. कहा कि पारसनाथ पहाड़ी में आदिवासियों के देवता मरांग बुरू का स्थान है. जाहेर पूजा स्थल है. इसलिए कोई भी सरकार वहां पर केवल एक धर्म को जगह कैसे दे सकती है. इसका विरोध होगा. जरूरत पड़ी तो उग्र आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने सरना धर्मियो से कहा कि प्रत्येक गुरुवार को सरना में पूजा करें और प्रत्येक घर में सरना झंडा अवश्य लगाएं.

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राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सिंह मुंडा ने कहा कि झारखंड सरकार एक वर्ष पहले ही सरना धर्म कोड को पारित कर केंद्र को भेज चुकी है. अब तक केंद्र ने इसे लागू नहीं किया. यह भी कहा कि वे लोग कुरमी को किसी भी कीमत पर एसटी में शामिल होने नहीं देंगे. पारसनाथ में जैन धर्मियों के एकाधिकार का विरोध किया जाएगा. केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि अपने हक व अधिकार के लिए हम हमेशा से ही आगे रहते हैं. केंद्र सरकार अविलंब सरना धर्म कोड लागू करे, नहीं तो आदिवासी समुदाय विरोध करेगा. इस मौके पर प्रदेश धर्मगुरु राजेश लिंडा, महासचिव जलेश्वर उरांव, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सोमे उरांव, बिरसा उरांव समेत कई ने अपने विचार रखे.

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