केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) ने शनिवार को कहा कि झारखंड सरकार आदिवासियों के कल्याण के लिए केंद्र से मिली राशि का उपयोग करने में काफी पीछे है। यह अच्छा संकेत नहीं है।
जारी वित्त वर्ष की समाप्ति में अब कम समय बचे हैं। झारखंड सरकार ने अपनी गति नहीं बढ़ाई तो केंद्र से मिलने वाले अनुदान में मुश्किलें आ सकती हैं। इससे राज्य जनजाति कल्याण में पिछड़ जाएगा। राज्यपाल रमेश बैस ने पांच जनवरी को अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए राज्य में संचालित योजनाओं की समीक्षा के दौरान केन्द्र सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान राशि की योजनाओं पर कम खर्च पर चिंता जताई थी।
यह बात सामने आई थी कि 50 प्रतिशत राशि भी खर्च नहीं की जा सकी है। यह तथ्य भी सामने आया था कि भारत सरकार ने 2020-21 में 102.78 करोड़ राशि के विरुद्ध 43.49 करोड़, 2021-22 में 122.64 के विरुद्ध 17.90 एवं 2022-23 में 67.48 के विरुद्ध राज्य सरकार अब तक कोई राशि व्यय नहीं कर पाई है।
Arjun Munda: राज्यपाल की समीक्षा में हुआ था उजागर
राज्यपाल की समीक्षा में यह उजागर हुआ था कि सीसीडी योजना के अंतर्गत 2020-21 में 1777.29 लाख के विरुद्ध 1019.75 व 2021-22 में 1696.93 लाख के विरुद्ध 262.27 लाख ही राज्य सरकार उपयोग कर सकी है, जिस कारण 2022-23 में स्वीकृत राशि 2551.77 लाख के विरुद्ध राशि विमुक्त नहीं की गई। एससीए टू टीएसपी योजना की समीक्षा के दौरान यह भी सामने आया कि केंद्र सरकार की ओर से वित्तीय वर्ष 2020-21 में विमुक्त 7049.64 लाख राशि के विरुद्ध 1311.838 लाख, 2021-22 में 6531.00 लाख जारी राशि के विरुद्ध कोई व्यय नहीं हुआ। इस कारण 2022-23 में केंद्र सरकार से राशि प्राप्त नहीं हुई।
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