उत्तराखंड के पिथौरागढ़ स्थित मुनस्यारी में सामरिक रूप से बेहद अहम माना जाने वाला बैली ब्रिज को सीमा सड़क संगठन (BRO) ने दोबारा बना दिया है. इस ब्रिज के बनने से चीन सीमा पर जाने वाले आईटीबीपी और सेना के जवानों की आवाजाही शुरू हो गयी है. साथ ही चीन को जोड़ने वाली सड़क काटने का काम भी तेजी से शुरू हो गया है.
कुछ समय पहले यह ब्रिज टूट गया था. यह हादसा उस वक्त हुआ जब मुनस्यारी-मिलम रोड पर एक भारी भरकम मशीन ले जाई जा रही थी. धापा के पास सेनर नाले पर बना पुल ओवरलोडिंग से भरभराकर नाले में जा गिरा. हादसे में पुल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था
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इससे जुड़ा एक वीडियो भी सामने आया था जिसमें एक ट्रक पोकलैंड मशीन लेकर ब्रिज क्रॉस करता हुआ दिख रहा था. अचानक पुल टूटकर नदीं में गिर गया. साथ ही पोकलैंड मशीन भी नदी में जा गिरी. न्यूज एजेंसी एएनआई ने 22 जून को इस घटना का वीडियो शेयर किया था. यानी कि महज पांच दिनों में एक बार फिर से बैली ब्रिज को तैयार कर दिया गया है. साथ ही जिस तेजी से काम शुरू कर संपन्न किया गया, इससे समझा जा सकता है कि इस पुल का सेना के लिहाज से क्या महत्व है. वो भी तब जब चीन और भारत के बीच सीमा मुद्दे को लेकर तनातनी चल रही है.
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की ओर से भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स की प्रतिक्रिया में वीडियो और क्लिप्स जारी किए जा रहे हैं.
जैसे ही बेली ब्रिज बनने की खबर सामने आई उधर PLA प्रोपेगंडा मशीनरी ने अपने इंजीनियरों की ओर से 40 मिनट में 180 मीटर लंबे पुल बिछाने की कहानी लेकर सामने आ गई. क्योंकि भारतीय सेना के इंजीनियरों की तारीफ हो रही थी तो चीन को भी साबित करना है कि उनके इंजीनियर भी कहीं से कम नहीं हैं.
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दरअसल चीन एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश कर हा है. एक तरफ वो चीन के लोगों को भरोसा दिलाना चाहते हैं कि चीन तकनीक के मामले में भारत से बेहतर है दूसरी तरफ भारत के लोगों में भी भ्रम बनाए रखना चाहता है