भारत में सांप्रदायिक दंगो और हिंसा फैलने कि मुख्य वजह सोशल मीडिया अगर माना जाए तो इसमें कोई संकोच कि बात नहीं होनी चाहिए। भारत में कई ऐसे धार्मिक संगठन है जो सोशल मीडिया पर धार्मिक पोस्ट करते है और दूसरे समुदाय के भावनाओ को भड़काने कि कोशिश करते है.
अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल की शुक्रवार को आई एक रिपोर्ट बताती है कि वर्चुअल दुनिया में भाजपा अपने सोशल मीडिया अभियानों में कितनी सफल रही है। अखबार ने आरोप लगाया कि फेसबुक, जो दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनी है साथ ही जो भारत में सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया ऐप व्हाट्सएप की मालिक है. बीजेपी का पक्ष लेने के लिए पीछे की ओर झुक गई थी. अख़बार ने यह भी आरोप लगाया कि फेसबुक ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा किए गए अभद्र भाषा और टिपण्णी को फेसबुक ने जानबूझ कर नजरअंदाज किया है।
अख़बार ने यह भी आरोप लगाया है कि 2019 चुनाव के वक्त अंकि दास जो कि फेसबुक के लिए भारत, दक्षिण और मध्य एशिया के लिए निति निदेशक है उसने गलत जानकारी दी थी कि फेसबुक पर बीजेपी से जुड़े उन पेजो को हटा दिया गया था जिनसे बीजेपी झूठी खबरे फैला रहा था. हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था.
अख़बार ने दवा करते हुए कहा, इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है कि फेसबुक ने बीजेपी नेताओं द्वारा अपने मंच पर अभद्र भाषा रखने की अनुमति दी. क्यूंकि फेसबुक का मानना था कि बीजेपी नेताओ कि अभद्र भाषणों को रोकने से भारत में फेसबुक के व्यावसायिक संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।
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तेलंगाना में एक भाजपा विधायक टी राजा सिंह ने फेसबुक के आंतरिक तंत्र द्वारा उन विचारों को आगे बढ़ाने के लिए लोगो को उकसाया, जिसमें गोमांस खाने के लिए मुसलमानों को मारने, मस्जिदों को ध्वस्त करने और यहां तक कि रोहिंग्या मुसलमानों की गोली मारकर हत्या करने के लिए उकसाने जैसे अभद्र भाषा शामिल थे। इसका मतलब यह था कि सिंह न केवल अभद्र भाषा के दोषी थे, बल्कि फेसबुक के अपने आंतरिक मानकों “खतरनाक व्यक्ति” के रूप में टैग किया था एक ऐसी श्रेणी जो वास्तविक विश्व हिंसा को भड़काने की क्षमता को ध्यान में रखती थी। लेकिन फेसबुक ने कोई कार्रवाई नहीं की.
लेकिन फेसबुक कि भारतीय निति निदेशक आंकी दास ने टी राजा सिंह के बयान पर कहा कि वह प्रतिबंध का विरोध कर रहे थे. सिंह अभी भी फेसबुक पर कायम है. फेसबुक ने उनपर अब तक कोई कार्रवाई नहीं कि है.
फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने अपने 25,000 फेसबुक कर्मचारियों के साथ एक वीडियो कॉल में कहा था कि भारत में एक नेता कानून को अपने हाथो में लेने कि बात करता है और हिंसा को भड़काने कि कोशिश करता है. मार्क ज़ुकरबर्ग दिल्ली के बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के सन्दर्भ में बोल रहे थे. कपिल मिश्रा ने फरवरी के भाषण में भारत के नए नागरिकता कानून का विरोध कर रहे लोगों के खिलाफ हिंसा की धमकी देते हुए प्रतीत हो रहे थे। जिसके बाद दिल्ली में हिंसा भी भड़की थी. हालाकिं कपिल मिश्रा पर अब भी कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कि गई है.
हिंसा भड़कने के बाद फेसबुक ने मिश्रा के अभद्र भाषण के वीडियो को प्रतिबन्ध कर दिया लेकिन फेसबुक ने कपिल मिश्रा को न ही बैन किया और न ही फेसबुक से हटाया। आश्चर्य कि बात यह है कि फेसबुक ने उसे ब्लू टिक दे रखा है.
वॉल स्ट्रीट जर्नल द्वारा उल्लिखित तीसरा और सबसे वरिष्ठ राजनेता पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद अनंतकुमार हेगड़े हैं. जिन्होंने कोरोना महामारी के फैलाव का कारण मुसलमानो को बताते हुए गलत सूचना पोस्ट की थी।