केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार 1 अप्रैल 2021 से श्रम कानून में बड़ा बदलाव करने जा रही है. केंद्र सरकार के द्वारा पूर्व में किए गए कृषि कानूनों में बदलाव के बाद हो रहे आंदोलन के बीच यह एक और बड़ा बदलाव होगा. इस श्रम कानून में ग्रेच्युटी, पीएफ और काम के घंटों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है.
आजादी के 73 सालों के बाद पहली बार इस प्रकार से श्रम कानून में बदलाव किए जा रहे हैं. सरकार यह दावा कर रही है की नियोक्ता और श्रमिक दोनों के लिए यह कानून सफल साबित होगा. सरकार के द्वारा लाए जा रहे नए कानून के अनुसार मूल वेतन कुल वेतन का 50 फ़ीसदी या अधिक होना चाहिए. इसके साथ ही ज्यादातर कर्मचारियों की वेतन संरचना भी बदलने वाली है. क्योंकि वेतन का गैर भत्ते वाला हिस्सा आमतौर पर कुल वेतन के 50 फ़ीसदी से कम होता है. वही कुल वेतन में भत्ता का हिस्सा और भी अधिक हो जाता है.
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मूल वेतन बढ़ने से लोगों के पीएफ भी बढ़ेंगे. पीएफ मूल वेतन पर आधारित होता है. मूल वेतन बढ़ने से पीएफ तो बढ़ेंगे इसके साथ ही टेक होम या हाथ में आने वाला वेतन में कटौती होगा. ग्रेच्युटी और पीएफ में योगदान बढ़ने से रिटायरमेंट के समय मिलने वाली राशि में भी इजाफा हो सकता है. इससे लोगों को रिटायरमेंट के बाद सुखद जीवन जीने में आसानी होगी. उच्च भुगतान वाले अधिकारियों के वेतन संरचना में सबसे अधिक बदलाव आएगा और इसके चलते वही सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. पीएफ और ग्रेच्युटी बढ़ने से कंपनियों की लागत में भी वृद्धि होने की संभावना है. क्योंकि उन्हें भी कर्मचारियों के लिए पीएफ में ज्यादा योगदान देना पड़ेगा इन चीजों से कंपनियों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होंगी.
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नए ड्राफ्ट के अनुसार कामकाज के अधिकतम समय को बढ़ाकर 12 घंटे करने का प्रस्ताव पेश किया गया है. ओएसएच कोड के ड्राफ्ट नियमों में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिन कर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है. मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम योग्य नहीं माना जाता है. ड्राफ्ट नियमों में किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से ज्यादा काम कराने को प्रतिबंधित किया गया है. कर्मचारियों को हर 5 घंटे के बाद आधा घंटे का विश्राम देने के निर्देश भी ड्राफ्ट नियमों में शामिल किए गए हैं.