Jharkhand: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि देश की आजादी के 75 साल बाद भी हम सामाजिक न्याय को लेकर चिंतित हैं। जब देश को अमृतकाल और विश्व गुरु की संज्ञा दी जा रही है उस स्थिति में हमलोग सामाजिक न्याय मांग रहे हैं। केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण देश का लोकतांत्रिक ढांचा ध्वस्त हो रहा है वहीं आज एसटी, एससी, माइनॉरिटी, ओबीसी एवं महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ये बातें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय सामाजिक न्याय महासंघ के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कहीं।
उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र खतरे में है। जब वह सामाजिक न्याय की लड़ाई देखते हैं तो उन्हें शिबू सोरेन की संघर्ष यात्रा याद आती है। दुर्भाग्यवश आज हम खुद को वहीं देख रहे हैं जहां से हमारे पूर्वजों ने संघर्ष शुरु किया था। आज देश की अर्थव्यवस्था ध्वस्त है। किसान, मजदूर, नौजवान अधिकारों से वंचित हैं। रोजगार देने वाली संस्थाएं ध्वस्त की जा रही हैं
संवैधानिक ताकतों का दुरुपयोग हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले भी शिबू सोरेन, लालू प्रसाद, मुलायम सिंह यादव आदि ने लोकतांत्रिक मोर्चा बनाकर सामाजिक न्याय की मुहिम छेड़ी थी। उन्होंनेे कहा कि इस कॉन्फ्रेंस में आये सुझाव के साथ वह खड़े रहेंगे।
यह सम्मेलन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के नेतृत्व में हुआ। इसमें राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के महासचिव डी राजा, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आदि शामिल हुए।
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फूट डालो शासन करो की नीति
उन्होंने कहा कि देश में फूट डालो और राज करो की स्थिति है। देश में ‘ना काम करूंगा ना करने दूंगा’ की राजनीति हो रही है। झारखंड में पिछली सरकार ने ओबीसी आरक्षण घटाया था। राज्य में हमारी सरकार ने ओबीसी आरक्षण को 27 करने के लिए नौवीं अनुसूची में जोड़ने का प्रस्ताव भेजा, लेकिन उसे तत्कालीन राज्यपाल ने वापस कर दिया।