झारखंड की हेमंत सरकार ने कोरोना महामारी के बीच उत्पन्न स्थिति को देखते हुए फैसला लिया था कि बालू के भंडारण स्थल से बालू का परिवहन सिर्फ ट्रैक्टर के माध्यम से होगा जिसे निरस्त करते हुए सभी वाहनों से बालू के परिवहन को अनुमति दे दी गयी है.
हेमंत सरकार बनने के 3 महीने के अंतराल में ही राज्य कोरोना की चपेट में आ गया, सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि देश के सभी राज्यों की स्थिति एक जैसी ही रही. सभी राज्य अपने-अपने तरीके से कोरोना महामारी से निपटने में लगे हुए है.
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झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य की गिरती अर्थव्यवस्था को देखते हुए और मॉनसून शुरू होने के बाद यह निर्णय लिया था कि राज्य भर में जहाँ भी बालू का भण्डारण किया गया है, वहाँ से सिर्फ बालू का परिवहन ट्रैक्टर के माध्यम से ही किया जायेगा। 24 जून को जारी आदेश में कहा गया था कि ” भण्डारण स्थल से बालू का परिवहन मात्र ट्रैक्टर से किया जायेगा। बड़े वाहनों जैसे हाईवा, डम्फर आदि का उपयोग नहीं किया जायेगा।” इस आदेश के बाद अन्य वाहनों के मालिकों ने इसका विरोध भी किया था.
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रामगढ से कांग्रेस की विधायक ममता देवी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौपा था जिसमे उन्होंने कहा था कि खान एवं भूतत्व विभाग द्वारा बड़े वाहनों से बालू का परिवहन नहीं करने का आदेश जारी की गई है. राज्य में बड़ी संख्या में बड़े वाहनों द्वारा बालू का परिवहन किया जाता है. इस आदेश के बाद बड़े वाहन मालिकों, खलासी, ड्राइवर जैसे अन्य लोगो के सामने भुखमरी की स्थिति आ जाएगी। इसलिए बड़े वाहनों से भी बालू के परिवहन की अनुमति दी जाए. विधायक ममता देवी ने ट्वीट कर कहा है कि सरकार ने बड़े वाहनों को बालू के परिवहन की अनुमति दे दी है.