रांची सदर अस्पताल में कोरोना मरीजों के बेड पर मिलने वाले ऑक्सीजन में हो रही देरी को लेकर सख्त नाराजगी जाहिर की है. अदालत ने नाराजगी जाहिर करते हुए ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक लगाने में हो रही देरी पर कई सवाल किए हैं. साथ ही विजेता कंस्ट्रक्शन कंपनी को जमकर फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को केंद्र सरकार से ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक कैसे उपलब्ध होगी इस पर बात करने को भी कहा है. अदालत ने कंपनी को सभी सब कॉन्ट्रैक्टर को शीघ्र बकाया राशि भुगतान करने का भी निर्देश दिया है.
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झारखंड हाईकोर्ट ने टाटा, एचईसी और हिंडाल्को से भी पूछा है कि ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक की अस्थाई व्यवस्था कैसे हो सकती है? मामले की अगली सुनवाई 13 मई को होगी. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में सदर अस्पताल में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति के बिंदु पर सुनवाई हुई इस दौरान राज्य सरकार की तरफ से बताया गया कि निर्माण करने वाली कंपनी विजेता कंस्ट्रक्शन कंपनी है जो सब कांट्रेक्टर से काम करवा रही है उसकी राशि बकाया है जिस वजह से निर्माण में देरी हो रही है. अदालत ने कंपनी को कड़ी फटकार लगाते हुए शीघ्र बकाया राशि का भुगतान करने और 1 सप्ताह के अंदर निर्माण कार्य पूरा करने का निर्देश दिया है.
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झारखंड हाईकोर्ट ने रांची सदर अस्पताल में 300 बेड चालू नहीं किए जाने पर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य सरकार और कंपनी को शीघ्र ही मामले में कार्य पूरा कर अदालत को अवगत कराने का निर्देश दिया था पूर्व में सुनवाई होने के बाद भी अब तक कंपनी की तरफ से काम पूरा नहीं किया गया है. मामले की सुनवाई 13 मई को फिर से होगी. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि स्टोरेज टैंकर की वैकल्पिक व्यवस्था पर क्या कुछ किया जा रहा है? जिस पर राज्य सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक जवाब पेश नहीं हुआ. अदालत ने राज्य सरकार को इसके लिए केंद्र सरकार, टाटा, एचईसी और हिंडाल्को से यह बताने को कहा है कि ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक की व्यवस्था अस्थाई रूप से कैसे हो सकती है बताएं.