पारसनाथ: गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित तीर्थस्थल सम्मेद शिखरजी को लेकर बवाल जारी है. दरअसल, झारखंड के आदिवासी समुदाय ने अब दावा किया है कि पूरा पारसनाथ पहाड़ हमारा है. इतना ही नहीं, ट्राइबल कम्युनिटी ने कहा है कि यह हमारा धर्मस्थान है. इसे लेकर आज पारसनाथ पहाड़ पर लोगों से एकत्र होने की अपील की है.
पारसनाथ को लेकर पारा अभी भी गरम है. जैन समुदाय के बाद अब आदिवासी मरांगबुरु को लेकर आक्रोशित है. आदिवासी समाज जोरदार प्रदर्शन के लिए गिरिडीह व मधुबन में जुट रहे हैं. आदिवासियों का कहना है कि पारसनाथ पहाड़ी पर पहला अधिकार उनका है.
बताया जाता है कि आदिवासियों के बीच यह मैसेज गया है कि पारसनाथ पहाड़ी जैनियों के हवाले कर दिया गया है. इधर, सरकार की ओर से विज्ञप्ति जारी कर इस मैसेज को भ्रामक बताया है. इधर, आदिवासियों के जुटान के मद्देनजर जिला प्रशासन की ओर से चप्पे-चप्पे पर पुलिस जवान को तैनात कर दिया गया है. मधुबन पहुंचने वाले तमाम रास्तों पर पैनी नजर रखी जा रही है.
सेंगेल अभियान के प्रमुख सालखन मुर्मू और जनजाति संगठनों से जुड़े कई लोग पारसनाथ पहाड़ी पर आदिवासियों का पहला हक होने का दावा कर रहे हैं. सालखन के मुताबिक पारसनाथ आदिवासियों के लिए पवित्र तीर्थ स्थल है. जैसे हिन्दू के लिए अयोध्या है, उसी तरह से हमारे लिए मरांगबुरू का महत्व है. इसे बचाने के लिए हम संघर्ष करेंगे. मंगलवार की सुबह से जत्थे में आदिवासियों का जुटान शुरू हो गया है. आदिवासी संगठन के विरोध को देखते हुए मधुबन के बाजार पूरी तरह से बंद रहे. एक एक दुकानें बंद रहीं. जत्थे में पहुंच रहे आदिवासी जोरदार नारेबाजी कर रहे हैं. इनका कहना है कि पारसनाथ पहाड़ी उनके आराध्य मरांग बुरु का भी पूजन स्थल है. वहां बलि देने परंपरा है. जिसे किसी भी परिस्थिति में नहीं रोका जा सकता है.
पारसनाथ: मारांगबुरू पर पूरी तरह जैनियों को कब्जा वाली ख़बर को सरकार ने बताया अफ़वाह
राज्य सरकार ने उस सूचना को ग़लत बताया है जिसमें गिरिडीह के मारांगबुरू पर पूरी तरह जैनियों को कब्जा दिलाने का दावा किया जा रहा है. इस संबंध में पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद और युवा कार्य विभाग, झारखंड के सचिव का हवाला भी दिया गया है. इस खबर के संबंध में आपत्ति जताते विभाग की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी करते बताया गया है कि मारांगबुरू को जैनियों के हवाले किए जाने संबंधी खबर पूरी तरह से असत्य, भ्रामक और तथ्यों से परे है. इसके लिए आठ सदस्यीय कमिटी बनाकर उसमें 7 जैनियों और 1 आदिवासी सदस्य रखें जाने की सूचना भी झूठ है. पर्यटन विभाग की ओर से इस संबंध में ऐसी कोई कार्यवाही नहीं की गई है. विभाग ऐसी खबरों का पूरी तरह खंडन करता है.