प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना जिसे आयुष्मान भारत योजना के नाम से जाना जा रहा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड की धरती से ही इस योजना की शुरुआत की थी उस वक्त झारखंड में भाजपा की सरकार थी और रघुवर दास तत्कालीन मुख्यमंत्री हुआ करते थे 2019 के चुनाव से ठीक पहले हुई इस योजना को लेकर विपक्ष लगातार भाजपा पर हमलावर रहा था कहा गया था कि यह सब चुनाव को देखते हुए हो रहा है
जैसे-जैसे आयुष्मान योजना तालाब लोगों के पास पहुंचा इसमें फर्जीवाड़े की बात भी सामने समय-समय पर आती रही है झारखंड सरकार के द्वारा आसमान भारत योजना से प्रधानमंत्री शब्द हटाकर झारखंड या फिर मुख्यमंत्री शब्द को जोड़ने की तैयारी में जिसे लेकर स्वास्थ्य विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है और स्वास्थ्य मंत्री ने भी इस पर सहमति दे दी है अब फाइल मुख्यमंत्री को भेजी गई है मुख्यमंत्री की सहमति पर यह फैसला लिया जाएगा.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर 2018 को झारखंड से ही पूरे देश के लिए इस योजना का शुभारंभ किया था अब झारखंड ही पहला राज्य होगा जहां इस योजना का नाम बदल जाएगा राज्य सरकार के 1 वर्ष पूरे होने के मौके पर 29 दिसंबर को होने वाले कार्यक्रम में सीएम इसकी घोषणा कर सकते हैं. सरकार के 1 वर्ष पूरे होने पर विभिन्न विभागों से योजनाओं की जानकारी मांगी गई थी विभागों ने नहीं योजनाओं के उद्घाटन आदि का प्रस्ताव भी दिया है वहीं स्वास्थ्य विभाग ने इस योजना का नाम बदलने का भी प्रस्ताव भेजा है.
आखिर क्यों प्रधानमंत्री शब्द को हटाकर झारखंड या मुख्यमंत्री के नाम पर करने की है तैयारी:
दरअसल, प्रधानमंत्री शब्द हटाकर झारखंड या फिर मुख्यमंत्री शब्द को जोड़ने को लेकर यह तर्क दिया जा रहा है कि केंद्र ने 25 लाख परिवारों को ही लाभ देने की स्वीकृति दी है. इस तरह राज्य सरकार ज्यादा खर्च कर रही है इसीलिए पहचान झारखण्ड को मिलनी चाहिए. राज्य सरकार ने खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में आने वाले सभी लाल और पीला कार्ड धारियों को इसमें शामिल किया है इस 32 लाख अतिरिक्त परिवारों का 100% भुगतान राज्य सरकार के द्वारा किया जाता है सरकार का तर्क है कि इस योजना में केंद्र से अधिक राशि राज्य सरकार दे रही है इसलिए इसमें झारखंड की भी पहचान होनी चाहिए.
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बीमा कंपनियों को हटाकर ट्रस्ट से भुगतान करने की तैयारी गोल्डन कार्ड बदलकर लगेगा झारखंड का लोगो:
आयुष्मान भारत योजना का नाम बदलने के साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की हिस्सेदारी 60 और 40% है अभी इलाज के क्लेम का भुगतान बीमा कंपनी करती है सरकार की योजना है कि बीमा कंपनी की बजाय ट्रस्ट बनाकर इससे इलाज के लिए क्लेम का भुगतान किया जाए. इस योजना पर भी तेजी से काम चल रहा है वही लाभार्थियों को मिलने वाले गोल्डन कार्ड का प्रारूप भी बदलेगा नाम बदलने के साथ ही इसमें झारखंड का लोगो भी लगाया जाएगा कलर कंबीनेशन भी बदला जाएगा इसे हराया इससे मिलते-जुलते रंग में प्रिंट कराया जाएगा पहले प्रज्ञा केंद्रों पर गोल्डन कार्ड बनाने के लिए लाभुकों को प्रति कार्ड ₹30 देने पड़ते थे अब राज्य सरकार की ओर से निशुल्क बनाया जा रहा है.