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रघुवर राज की गंदगी धोते-धोते सरकार परेशान, बाहर निकालने में कम से डेढ़ साल लगेंगे: झामुमो

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्या ने सोमवार को पार्टी मुख्यालय में हेमंत सरकार के एक साल का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में रघुवर राज की गंदगी धोते-धोते परेशान हैं। इसके बावजूद विषम परिस्थिति में सरकार ने बेहतर प्रदर्शन किया। जिस परिस्थिति में हेमंत सोरेन ने राज्य की बागडोर संभाली, उस वक्त राज्य विनाश की गहराई में धंस रहा था, जहां से उसे बाहर निकालने में कम से डेढ़ साल लगेंगे। इसी उद्देश्य से वित्तीय वर्ष 2020-21 में बजट भी प्रस्तुत किया गया था। बजट पर सरकार ने विधानसभा में श्वेत पत्र के माध्यम से बता दिया कि पूर्व की सरकार ने राज्य को कंगाली में पहुंचा दिया है।

आगे उन्होंने कहा कि रघुवर दास के कार्यकाल में पूरे पांच साल सिर्फ इवेंट हुए. राज्य बदहाली में चला गया. अकेले डीवीसी के पास पांच वर्षों में 5514 करोड़ का बकाया हो गया। डीवीसी बार-बार अपना पैसा मांगता रहा, रघुवर सरकार ने पैसे नहीं दिए। जैसे ही सरकार बदली, डीवीसी अपने रूप में आ गई। डीवीसी का इस सरकार में केवल एक हजार 313 करोड़ रुपये ही बिल हुआ था। इसमें 741 करोड़ रुपये राज्य सरकार दे चुकी थी। इसके बावजूद भारत सरकार ने राज्य सरकार के खाते से 14.50 करोड़ रुपये काट लिया। राज्य सरकार 6600 करोड़ रुपये केवल कोयला कंपनियों से पाती थी। जब राज्य सरकार ने दबाव बनाया तो कोयला मंत्री रांची आए और केवल 250 करोड़ रुपये ही दिए। केंद्र पर राज्य सरकार का 25 हजार करोड़ रुपये जीएसटी का बकाया है। पूर्व की सरकार में 18,000 करोड़ रुपये का जीएसटी घोटाला हुआ था। पारंपरिक पत्थलगड़ी करने वालों पर रघुवर सरकार ने देशद्रोह का केस कर दिया था। उसे हेमंत सरकार ने पहली बैठक में वापस ले लिया।

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सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि राज्य में बजट सत्र के तुरंत बाद विश्वव्यापी कोरोना महामारी आ गई। पूरे देश में लॉकडाउन लग गया। हेमंत सरकार ने संयम से काम किया और सभी राज्यों से झारखंड का प्रदर्शन बेहतर कर दिखाया। दूसरे राज्यों में फंसे 8.50 लाख प्रवासी भाई-बहनों राज्य सरकार वापस लाई। पहली ट्रेन इस देश में श्रमिक को हैदराबाद से लेकर रांची पहुंची थी। यह सरकार की दूरदर्शिता थी। कोरोना काल में 6500 दीदी किचन चलाया गया। सरकार ने 13 लाख 50 हजार घरों को एक महीने का राशन दिया। कोरोना को जब सांप्रदायिक बनाया जा रहा था, तब हेमंत सोरेन ने कहा था कि भाजपा महामारी को भी सांप्रदायिक बना रही है। उस वक्त चिकित्सा क्षेत्र के विशिष्ट जन, पारा मेडिकल, सफाइकर्मी, पुलिसकर्मी दिन रात एक कर कार्य कर रहे थे और कोरोना के विरुद्ध लड़ाई लड़ी। पूरे देश में झारखंड का रिकवरी रेट बेहतर व मृत्युदर बहुत कम रहा। भोजन के साथ आश्रय भी दिया गया। एक-एक थाने से लोगों को भोजन करवाया गया।

उन्होंने कहा कि गारमेंट फैक्ट्री को शुरू करने के लिए इस कोरोना काल में 164.48 करोड़ रुपये भी राज्य सरकार ने निवेश किया है। राज्य में छोटे-छोटे उद्योग जो बंदी के कगार पर हैं उन्हें शुरू किया जाएगा। पहली बार पांच महीने के अंदर 24 जिले में खेल पदाधिकारी की सीधी नियुक्ति की गई है। खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले वैसे 52 खिलाड़ियों को पदाधिकारियों के पद पर सीधी नियुक्ति हुई है। राज्य के 15 लाख लोग कार्ड विहीन थे उन्हें हरा कार्ड भी मिलेगा और राशन भी मिलेगा। 54 लाख गरीब को साल में दो समय सोना सोबरन योजना के तहत दस रुपये में धोती-साड़ी मिलेगी।

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8.50 लाख प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के समय झारखंड आए थे। उन्हें 25 करोड़ मानव दिवस मनरेगा से जोड़ा गया। तीन योजनाएं बिरसा हरित ग्राम योजना, नीलांबर-पीतांबर जल समृद्धि योजना और शहीद वीर पोटो होरो खेल योजना चलाई। मनरेगा का दर 200 रुपये से भी कम थे उन्हें 300 रुपये तक पहुंचाया। जो लेह-लद्दाख से आए थे वैसे 1500 मजदूरों को एग्रिमेंट के बाद भेजा गया। आज राज्य के अनुपात में सबसे ज्यादा मजदूरों का वेब पोर्टल रजिस्ट्रेशन है। सात लाख से ज्यादा वेब पोर्टल रजिस्ट्रेशन हो चुका है। उत्तर प्रदेश की सड़क दुर्घटना के पीड़ित परिवार को 14 लाख की अनुदान राशि दी। शहरी आबादी के लिए भी 100 दिन के काम की गारंटी की योजना शुरू की। हड़िया बेचने वाली बहनों को फूलो-झानो आशीर्वाद योजना के तहत वैकल्पिक रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। दिल्ली में मानव तस्करी की शिकार 45 लड़कियों को एयरलिफ्ट कर रांची लाया गया। जिसे रघुवर दास ने धोखे से नौकरी पर भेजा था उन्हें मुक्त कराकर सरकार रांची लाई। आशा संवर्धन हुनर अभियान से 18 लाख परिवार को जोड़ा गया है। समाज कल्याण के क्षेत्र में 111 बहनें जो राजकीय नर्सिंग कॉलेज से पास की थीं उन्हें देश के बड़े-बड़े अस्पतालों से जोड़ा गया। राज्य की शिक्षा व्यवस्था देश में सर्वोत्तम होगी। यहां 5000 विद्यालय को सोना सोबरन शिक्षा योजना के तहत सीबीएसई के पाठ्यक्रम से जोड़ा जाएगा। शहर व गांव के बच्चों में अब फर्क नहीं होने देंगे।