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MS Dhoni IPS अफसर के खिलाफ क्यों पहुंचे कोर्ट? 100 करोड़ का मांगा हर्जाना, पढ़िए पूरी खबर

zabazshoaib
MS Dhoni IPS अफसर के खिलाफ क्यों पहुंचे कोर्ट? 100 करोड़ का मांगा हर्जाना, पढ़िए पूरी खबर 1

Ranchi: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni

) क्रिकेट फील्ड छोड़कर मद्रास हाई कोर्ट पहुंच गई हैं। IPS अफसर के खिलाफ याचिका दायर की है और तो और 100 करोड़ रुपए का मुआवजा भी मांगा है.


कौन है यह अफसर


दरअसल महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) एक IPS अफसर के खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट जा पहुंचे हैं यह उस अफसर के खिलाफ आपराधिक अवमानना यानी कि क्रिमिनल कंटेंप्ट पेटिशन दायर की है।


क्या है पूरा मामला


तो बात है 2013 की आईपीएल 2013 में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी का केस हुआ था जिसमें दिल्ली पुलिस ने श्रीसांत, अजीत चंदीला और अंकित सरवन को स्पॉट फिक्सिंग के मामले में गिरफ्तार किया था तीनों ही 2013 में राजस्थान टीम में थे।
वहीं मुंबई पुलिस ने भी विंदू दारा सिंह और प्रियंका सिपानी को भी गिरफ्तार किया था. उस केस की जांच करने वाले IPS अधिकारी जी संपत कुमार (Sampat Kumar) के खिलाफ धोनी में कंटेम्प्ट पेटिशन लगाई है. इसके साथ ही धोनी अपने खिलाफ मैच फिक्सिंग के आरोप लगाने के लिए संपत कुमार( Sampat Kumar) से 100 करोड़ का मुआवजा भी मांगा है.


धोनी ( Dhoni) साल 2014 में संपत कुमार (Sampat Kumar) और एक टीवी चैनल पर मानहानि डिफॉर्मेशन का दावा ठोका था. धोनी का कहना था कि चैनल और संपत कुमार उनका नाम 2013 में हुए आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी स्कैंडल से जोड़ रहे हैं जो कि गलत है इसी के चलते सुप्रीम कोर्ट में उसी साल संपत कुमार को धोनी के खिलाफ किसी तरह की टिप्पणी ना करें कि आज का आदेश दिया था.

2021 में संपत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के पास इस मामले में हलफनामा भी दायर किया और एक रिटर्न स्टेटमेंट भी दिया. अब धोनी के पक्ष का कहना है कि इस हलफनामा में जुडिशरी और मद्रास हाई कोर्ट के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की गई है. धोनी ने इसी को लेकर संपत कुमार( Sampat Kumar) पर कोर्ट की अवमानना पर कार्रवाई शुरू करने की मांग की है.

याचिका में क्या कहा गया


धोनी(Dhoni) की याचिका में कहा गया कि संपत कुमार ( Sampat Kumar) का बयान न्यायपालिका पर एक आम आदमी पर के भरोसे को हिला देने वाला है उनके द्वारा लिखित स्टेटमेंट कोर्ट अथॉरिटी को नीचा दिखाते हैं. यह बयान न्यायपालिका के एडमिनिस्ट्रेशन में हस्तक्षेप और बाधा बन सकता है.