भोपाल और मुंबई की प्रयोगशाला की तर्ज पर बनने वाले इस लैब के लिए (Cyber forensic lab jamshedpur) जमशेदपुर पुलिस ने मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा है। इस लैब के बनने से कोलकाता की दौड़ खत्म हो जाएगी। प्रस्ताव की मंजूरी के बाद यहां काम शुरू कर दिया जाएगा।
यह लैब वर्तमान में बिष्टूपुर स्थित साइबर थाना के ऊपर में बनेगा। प्रस्ताव की मंजूरी के बाद इसके निर्माण का प्राकलन तैयार किया जाएगा। वर्तमान में जांच के लिए रांची के मार्फत कोलकाता, अहमदाबाद जब्त प्रदर्शों को भेजा जाता है। जमशेदपुर ओड़िशा, बंगाल का बॉर्डर इलाका है, इसीलिए यहां फॉरेंसिंक लैब की स्थापना को प्राथमिकता मिली है।
Cyber forensic lab के खुलने से दूसरे राज्यों पर निर्भरता होगी खत्म, झारखंड में होगी सभी जाँच
प्रदेश में जामताड़ा के बाद यह साइबर अपराध का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। फॉरेसिंक लैब बनाने में इस तथ्य को भी ध्यान में रखा गया है। पुलिस को अभी तक जांच के लिए मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल रिकार्ड (सीडीआर) निकालनी पड़ती है जिससे यह पता चल पाता है कि किन-किन व्यक्तियों से संबंधित द्वारा बातचीत की गई है।
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जबकि सोशल मीडिया कॉल ट्रैकिंग सुविधा नहीं है। इसके लिए सैंपल को बाहर की लैब भेजना पड़ता है। इसमें ज्यादा समय लगता है और इसका असर जांच पर पड़ता है। साइबर फॉरेंसिक लैब बनने से केस के अनुसंधान में समय की बचत होगी और इसमें स्थानीय पुलिस की निगरानी भी रहेगी।
Cyber forensic lab में ऐसे होती है जांच
इंटरनेट प्रोटोकॉल डेटा रिकार्ड (आईपीडीआर) एनेलाइजर सॉफ्टवेयर सोशल मीडिया वॉयस कॉल का रिकार्ड निकालेगा। सॉफ्टवेयर में सोशल मीडिया नंबर या आईडी डालते ही संबंधित की पूरी लिस्ट सामने आ जाएगी और यह आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि संबंधित द्वारा किन-किन लोगों से बातचीत की गई है। इसके अलावा सॉफ्टवेयर की मदद से मोबाइल के पैटर्न लॉक, थंब इंप्रेशन लॉक को भी खोला जा सकेगा।
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