भारत की पहली इंजन रहित ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express Jharkhand) की बोगियां अब पूर्णत स्वदेशी तकनीक पर आधारित और स्वदेश में ही निर्मित होगी। रेलवे ने स्वदेशी को बढ़ावा देने के तहत इसका जिम्मा निजी इस्पात कंपनी टाटा स्टील को सौंपा है।
दरअसल, रेलवे ने यूक्रेन को पहले 16 वंदे भारत ट्रेन के निर्माण का ऑर्डर दिया था। अपने इस ड्रीम प्रोजक्ट को रेलवे तय समय में पूरा करने को लेकर गंभीर है, पर रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर इसकी आपूर्ति पर असर पड़ा। इस कारण रेलवे ने अब इस परियोजना के लिए टाटा स्टील से करार किया है। वंदे भारत ट्रेनों की बोगी अब यूक्रेन के बजाय जमशेदपुर में बनेगी।
Vande Bharat Express Jharkhand: 255 करोड़ की लागत से 16 ट्रेनों की बोगियाँ बनेगी
टाटा स्टील 225 करोड़ में 16 ट्रेनों की बोगियों का निर्माण करेगी जो अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगी। भारतीय रेलवे और टाटा स्टील के बीच कई योजनाओं पर समझौता हुआ है। वंदे भारत एक्सप्रेस में फर्स्ट क्लास एसी से लेकर थ्री टीयर कोच में लगने वाली सीटें अब टाटा स्टील तैयार करेगी। रेलवे ने वंदे भारत एक्सप्रेस के एलएचबी कोच बनाने का ठेका भी टाटा स्टील को दिया गया है। इसके तहत पैनल, विंडो और रेलवे के स्ट्रक्चर तैयार होंगे।
टाटा स्टील रेलवे में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाने में लगा है। रेलवे से समन्वय के लिए अधिकारी को भी पदस्थापित किया गया है। कंपनी को मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर में भी काम मिला है। इसके लिए रेलवे से कारोबारी समन्वय बनाने के लिए टाटा मोटर्स के उप महाप्रबंधक (डीजीएम) अराधना लाहिरी को टाटा स्टील में बतौर डीजीएम न्यू मैटेरियल बिजनेस प्रतिनियुक्त किया है। वे रेलवे बिजनेस प्रोजेक्ट के एग्जीक्यूशन का काम देखेंगी। फिलहाल कंपनी को 16 बोगी बनाने को कहा गया है।
2023-24 वित्तीय वर्ष होगा काम पूरा कंपनी से मिली जानकारी के मुताबिक, योजना के तहत करीब 225 करोड़ रुपये का टेंडर रेलवे ने वंदे भारत के रैकों के पार्ट्स के निर्माण के लिए टाटा स्टील को दिया है। यह काम एक साल में पूरा किया जाना है। बोगियों के निर्माण में यात्रियों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाएगा। पहले यूक्रेन को 36 हजार पहियों व अन्य सामग्री तैयार करने के ऑर्डर दिए गये थे।
कंपनी को वंदे भारत एक्सप्रेस की 16 ट्रेनों के लिए सीटें मुहैया कराने का ऑर्डर मिला है। इन सीटों में यात्रियों के आराम का खास ध्यान रखा गया है। ये सीटें 180 डिग्री तक घूमने वाली है। इसके अलावा मुंबई-अहमदाबाद के बीच 508 किमी लंबे कॉरिडोर के लिए टाटा स्टील की ओर से उपकरण की सप्लाई की जा रही है। टाटा स्टील के ट्यूब डिवीजन से भी रेलवे को उपकरण की सप्लाई की जा रही है।
प्रवक्ता, कार्पोरेट कम्युनिकेशन, टाटा स्टील