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विश्व आदिवासी दिवस को भूल गए प्रधानमंत्री मोदी, ट्विटर पर ट्रैंड हुआ #AntiAdivasiModi

रविवार 9 अगस्त को पुरे विश्व में आदिवासी दिवस मनाया गया। इस बार कोरोना महामारी की वजह से विश्व आदिवासी दिवस धूमधाम से नहीं मनाया गया। बल्कि सादगीपूर्ण और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमो का पालन करते हुए मनाया गया। विश्व आदिवासी दिवस कि बधाई देश के लगभग सभी आदिवासी नेताओ ने दी लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर जनता को बधाई देने भूल गए.

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क्यूँ मनाया जाता है विश्व आदिवासी दिवस:

वर्ष 1982 में सयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) द्वारा एक कार्यदल गठित किया गया था. कार्यदल का मकसद आदिवासियों के भले के लिए कार्य करना है. इस कार्यदल की बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी. जिसके बाद से प्रत्येक वर्ष विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है. ऐसा नहीं है की केवल आदिवासी बाहुल्य देशो में ही इसे मनाने कि परंपरा है. बल्कि सयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) के सदस्य देशो में प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाने कि घोषणा कि गई.

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भारत में क्या है आदिवासियों का महत्व:

भारत में आदिवासियों का महत्व इसलिए जरूरी हो जाता है क्यूंकि भारत की जनसंख्या के कुल आबादी का 8.6% यानी लगभग 10 करोड़ का हिस्सा आदिवासियों का है. भारतीय संविधान में आदिवासी समाज के लिए अनुसूचित जनजाति शब्द का इस्तेमाल किया गया है. दुनिया भर में तक़रीबन 37 करोड़ आदिवासी निवास करते है. साथ ही आदिवासियों के अंदर भी कई वर्ग होते है. आदिवासी समुदाय का जीवन पूरी तरह से जंगलो पर निर्भर करता है या फिर यूँ कहे की वो पूरी तरह पर प्रकृति पर निर्भर करते है और प्रकृति पूजक होते है.

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संयुक्त राष्ट्र के अनुसार आदिवासी समुदाय 90 देशो में फैले है. जिसमे 4,000 अलग-अलग भाषा और 5,000 संस्कृति है. भारत के झारखंड 26.2 %, पश्चिम बंगाल 5.49 %, बिहार 0.99 % ,सिक्किम 33.08%, मेघालय 86.01%, त्रिपुरा 31.08 %, मिजोरम 94.04 %, मनीपुर 35.01 %, नगालैंड 86.05 %, असम 12.04 %, अरूणाचल 68.08 %, उत्तर प्रदेश 0.07 राज्यो में आदिवासी समाज कि विभिन्न जनजातीय निवास करती है.

विश्व आदिवासी दिवस की PM और गृह मंत्री ने नहीं दी बधाई:

भारत के विभिन्न हिस्सों में आदिवासी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में निवास करते है. इस लिहाजे से देश की आबादी और अन्य कई चीज़ो में महत्व बढ़ जाता है. राजनितिक दृष्टिकोण से बात अगर झारखण्ड की करे तो यहाँ लोकसभा की 14 सीटे है जिनमे से 12 पर बीजेपी का कब्ज़ा है जबकि एक पर कांग्रेस और एक पर झारखंड की क्षेत्रिये पार्टी झामुमो का कब्ज़ा है. राज्य से 12 सीटे बीजेपी के खाते में गई है. जिनमे से 3 आदिवासी नेता चुने गए है. लेकिन इन सब के बीच सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इसी राज्य से लोकसभा पहुँचे पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा मोदी सरकार में आदिवासी मामलो के मंत्री भी है. इस लिहाजे से मोदी कैबिनेट में झारखंड का महत्व बढ़ जाता है.

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परन्तु जहाँ पूरा देश विश्व आदिवासी दिवस के धुन में खोया हुआ था वही विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का कोई भी बधाई सन्देश नहीं आया और न ही उन्होंने इसे लेकर कोई ट्वीट किया। जबकि ऐसे अन्य खास मौको पर प्रधानमंत्री की तरफ से लोगो को बधाई सन्देश दिया जाता है. भारत के आदिवासी समुदाय के लोगो के हाथ निरासा ही लगी. काफी प्रतीक्षा करने के बाद जब पीएम का कोई सन्देश नहीं आया तो ट्वीटर पर आदिवासी समुदाय की तरफ से #AntiAdivasiModi ट्रैंड करवाया गया. और प्रधानमंत्री को आदिवासी विरोधी बताया गया.

इससे पूर्व भी बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि को प्रधानमंत्री भूल गए थे जिसे लेकर आदिवासी समुदायों कि तरफ से उन्हें काफी आलोचना भी झलनी पड़ी थी.