Skip to content
Advertisement

झाविमो से भाजपा में गए नेताओं को नई प्रदेश कमिटी में तरजीह नहीं ! भितरखाने जारी है मंथन का दौर

Shah Ahmad

14 साल पूर्व भाजपा से अलग होकर झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया गया था. भाजपा छोड़ने के बाद बाबूलाल मरांडी के करीब रहने वाले नेता उनके साथ झाविमो मे चले आये. राजनितिक उठा-पटक के बावजूद बाबूलाल के करीबी नेताओ ने उनका साथ नहीं छोड़ा और हर मोर्चे पर बाबूलाल के साथ डटे रहे. 14 साल तक झाविमो के साथ संघर्ष का दौर चला लेकिन इस बीच झाविमो कभी सत्ता का सुख नहीं भोग सकी.

Advertisement
Advertisement

Also Read: चतरा सांसद प्रतिनिधि की गोली मार कर हत्या, प्रतुल शाहदेव ने कहा जंगलराज की हो गयी है वापसी

2019 के विधानसभा चुनाव में 10 से अधिक सीटे जीत कर गेम चेंजर बनने की उम्मीद रखने वाली झाविमो के इरादों पर पानी फिर गया और हेमंत सोरेन वाली यूपीए गठबंधन को जनता ने भरपूर जनसमर्थन दिया। 2019 विधानसभा चुनाव में झाविमो ने 3 सीटों पर जीत हासिल की जिसमे प्रदीप यादव, बंधू तिर्की और पार्टी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी शामिल थे.

Also Read: शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने फिर दोहराया 1932 खतियान की बात, कहा झारखंडी कौन यह 1932 का खतियान तय करेगा

14 साल के वनवास को ख़त्म करने के लिए बाबूलाल मरांडी ने भाजपा में झाविमो के विलय का फैसला किया लेकिन पार्टी के अन्य दो विधायक प्रदीप यादव और बंधू तिर्की ने भाजपा में जाने से साफ़ मना कर दिया जिसके बाद दोनों विधायकों को धीरे-धीरे कर पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और भाजपा में झाविमो के विलय का रास्ता साफ़ हुआ. फरवरी माह में तत्कालीन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में बाबूलाल मरांडी ने झाविमो का भाजपा में विलय करते हुए भाजपा में घर वापसी कर गए, उनके साथ हर कदम पर साथ चलने वालो ने भी भाजपा का दमन थाम लिया।

Also Read: मंत्री रहे अमर बाउरी को जो बांग्ला मिला उसे खाली करने का विभाग ने दिया था नोटिस, अब पुलिस की मदद से कराया जायेगा खाली

प्रदेश भाजपा की नई कमेटी में नेताओं के चयन को लेकर अलग-अलग खेमे में भारी हलचल है। सबसे ज्यादा सुगबुगाहट पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के समर्थकों में है। बाबूलाल मरांडी लगभग 14 साल बाद भाजपा में इस आस में आए हैं कि उनके साथ-साथ आए विश्वस्तों को संगठन में तरजीह मिलेगी। विलय के मौके पर पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने खुले मंच से एलान किया था कि हर स्तर पर सांगठनिक ढांचे में मोर्चा के लोगों को हिस्सेदारी मिलेगी।

यह कयास लगाया जा रहा था कि बाबूलाल के करीबी नेताओं को प्रमुख पदों पर काम करने का मौका मिलेगा, लेकिन कमेटी में प्रमुखता नहीं मिलने से ऐसे नेताओं में निराशा है। वे लगातार बाबूलाल मरांडी से गुहार लगा रहे हैं। मरांडी भी खुद असहज बताए जाते हैं।

Also Read: CM नितीश कुमार 7 अगस्त से करेंगे बिहार के चुनाव प्रचार अभियान की वर्चुअल शुरूआत, 10 लाख लोगों तक पहुँचने का हैं लक्ष्य

बाबूलाल के करीबियों में से मात्र तीन लोगो को ही प्रमुखता से भाजपा की नई प्रदेश कमिटी में जगह मिली है परन्तु इससे भी वो खुश नहीं है. बाबूलाल मरांडी के साथ झाविमो में केंद्रीय उपाध्यक्ष रहीं शोभा यादव समेत रमेश राही, सिमरिया के रामदेव भोक्ता, गिरिडीह के सुरेश साव आदि नेता बाबूलाल मरांडी के गुडबुक में थे, लेकिन इन्हेंं स्थान नहीं मिला।

Advertisement
झाविमो से भाजपा में गए नेताओं को नई प्रदेश कमिटी में तरजीह नहीं ! भितरखाने जारी है मंथन का दौर 1